Mahakaleshwar Temple Corridor: महाकाल लोक (Mahakal Lok) में सप्त ऋषि की छह प्रतिमाएं खंडित होने के मामले में ज्योतिष आचार्यों का विरोध सामने आने के बाद अब महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) समिति ने नई प्रतिमाएं विराजमान करने का फैसला किया है. प्रतिमाओं को जल्द ही स्थापित किया जाएगा. महाकाल लोक में शिव स्तंभ के आसपास बनाई गई सप्त ऋषि की प्रतिमाएं आंधी के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थीं. इन खंडित प्रतिमाओं को सुधारने का काम भी महाकालेश्वर मंदिर की पार्किंग के पीछे चल रहा है.
पहले यह जानकारी सामने आई थी कि प्रतिमाओं का सुधार कार्य करवाने के बाद फिर से विराजमान करवाया जाएगा. इस पूरे मामले में ज्योतिष आचार्यों ने विरोध दर्ज किया था. पंडित अमर डिब्बावाला के मुताबिक, सनातन धर्म में खंडित प्रतिमा को दूबारा विराजमान नहीं करवाना चाहिए. खंडित प्रतिमाओं का विसर्जन ही होता है. महाकाल लोक में सप्त ऋषि की प्रतिमाएं अनुकूल ऊर्जा के लिए लगाई गई हैं. खंडित प्रतिमाएं नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करती हैं, इसलिए सनातन धर्म में खंडित प्रतिमाओं का विसर्जन ही होता है.
सप्त ऋषि की नई प्रतिमाएं विराजित कराई जाएंगी- कलेक्टर
ज्योतिषाचार्य संजय व्यास के मुताबिक प्रतिमाएं अंदर से खोखली नहीं बल्कि ठोस होनी चाहिए. वास्तु के अनुसार, भगवान की प्रतिमा हमेशा ठोस रूप में विराजमान कराई जानी चाहिए. दूसरी बात यह है कि खंडित प्रतिमाओं को नदी में विसर्जित करने के बाद विधि-विधान के साथ नई प्रतिमा लगाई जानी चाहिए. वहीं महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि महाकाल लोक में आंधी की वजह से सप्त ऋषि की ये प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो गई थीं. इन प्रतिमाओं के स्थान पर नई प्रतिमाएं लगाई जाएंगी.
उन्होंने यह भी कहा कि पत्थर या अन्य धातु की प्रतिमा बनने में काफी वक्त लगता है, इसलिए धीरे-धीरे सभी प्रतिमाओं को ठोस पत्थर का बनाकर लगाया जाएगा. इसके अलावा 98 मूर्तियों की मजबूती का परीक्षण भी किया जा रहा है. वहीं मूर्तिकार सुंदर गुर्जर के मुताबिक, आमतौर पर फाइबर की मूर्तियां 8 से 9 एमएम की बनाई जाती हैं, जबकि जो मूर्तियां महाकाल लोक में लगाई गई हैं, उनकी मोटाई मानक पैमाने से कम है. इसके अलावा मूर्तियों के निर्माण के बाद उन पर दो-तीन कोड प्राइमर किया जाता है.
इसलिए ताश के पत्तों की तरह गिर गई प्रतिमाएं
उन्होंने बताया कि इन प्रतिमाओं पर सीधे रंग लगा दिया गया. इसकी वजह से भी मजबूती पर असर पड़ा. मूर्तियों का निर्माण करते समय अंदर लोहे का जाल बनाया जाता है. इसके बाद उसका अच्छी तरह बेस बनाकर उसे खड़ा किया जाता है. इन प्रतिमाओं के अंदर लोहे का जाल भी नहीं है. इसके अलावा जहां पर इन्हें विराजमान कराया गया था, वहां पर बेस भी नहीं बना था. मूर्तियों को बेस से एक फीट ऊपर खड़ा किया गया था. जब आंधी चली, तो हवा मूर्तियों के अंदर से बाहर नहीं निकल पाई और मूर्तियां गिर गईं.
खंडित प्रतिमाओं का पूर्व मुख्यमंत्री ने भी किया था विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी खंडित प्रतिमाओं को रिपेयर के बाद महाकाल लोक में विराजमान कराने का विरोध किया था. उन्होंने भी इसे धर्म संगत नहीं बताया था. इसके बाद मंगलवार को उज्जैन पहुंचे विधायकों के दल ने भी खंडित प्रतिमा को दोबारा नहीं लगाने की सलाह दी थी. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने तो यह तक कह दिया था कि यदि खंडित प्रतिमाओं को सुधार कर लगाया जाएगा तो कांग्रेस इसका विरोध करेगी. हालांकि नई प्रतिमाओं का फैसला होने के बाद सारा विरोध खत्म हो गया है.
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