(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mahakal Lok Damage: कांग्रेस का था टेंडर, बीजेपी ने करवाया निर्माण, महाकाल लोक के कौन हैं असली गुनाहगार?
Mahakal Lok News: महाकाल लोक में मूर्तियां क्षतिग्रस्त होने के बाद बीजेपी सरकार को घेरने वाली कांग्रेस भी कई सवालों के घेरे में है. कांग्रेस की सरकार ने ही इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर निकाला था.
Mahakal Lok: महाकाल लोक (Mahakal Lok) में आंधी के कारण क्षतिग्रस्त हुई छह मूर्तियों को लेकर में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच सियासत गरमा गई है. दूसरी तरफ उन तकनीकी कारणों में लापरवाही की बात भी सामने आ रही है, जो जल्दबाजी की वजह से छूट गए थे. वहीं कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है.
दरअसल, महाकाल लोक में दो दिन पहले तेज आंधी की वजह से सप्त ऋषि की छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं. मौसम विभाग के मुताबिक, दो दिन पहले उज्जैन में 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली थी, जबकि प्रदेश में कई स्थानों पर तो 60 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक रफ्तार पर आंधी चली थी. हालांकि महाकाल लोक की इस घटना को लेकर कांग्रेस प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी बीजेपी सरकार को आड़े हाथों ले रही है.
'नहीं किया गया मूर्तियों का बेस मजबूत'
वहीं इसके तकनीकी बिंदुओं पर बात की जाए, तो महाकाल लोक में सप्त ऋषि की सात मूर्तियां स्थापित करने के दौरान उनका बेस मजबूत नहीं किया गया था. दरअसल, 11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महाकाल लोक का उद्घाटन करना था, लेकिन उस समय महाकाल लोक में निर्माण कार्य चल रहा था. इससे पहले भी महाकाल लोक के उद्घाटन का कार्यक्रम बना था, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता की वजह से इसे टाल दिया गया.
छह मूर्तियां जमींदोज
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के दौरान ताबड़तोड़ इंतजाम किए गए, लेकिन सप्त ऋषि की सात प्रतिमाओं का बेस कमजोर ही छोड़ दिया गया. उस समय यह कहा गया था कि उद्घाटन के बाद बेस को मजबूत कर दिया जाएगा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार एजेंसी ने इस बात का ध्यान नहीं रखा. इसके बाद तेज आंधी के कारण सप्त ऋषि की सात मूर्तियों में से छह मूर्तियां जमींदोज हो गईं. इन मूर्तियों को जमीन से नौ फुट ऊंचाई पर स्थापित किया गया था, इसलिए किसी ने ऊपर चढ़कर इसकी मजबूती का ध्यान भी नहीं दिया.
जिम्मेदार कौन ?
उज्जैन के महाकाल लोक का निर्माण भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार ने भले ही किया हो, लेकिन इसकी नींव मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ में रखी थी. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महाकाल मंदिर विस्तारीकरण योजना के प्रथम चरण को महाकाल वन प्रोजेक्ट के रूप में मंजूरी दी थी. साथ ही इस प्रोजेक्ट के लिए 300 करोड़ रुपये दिए गए थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार ने ही इस प्रोजेक्ट के टेंडर निकाले थे. उस टेंडर में मूर्तियां एफआरपी की ही स्वीकृत की गई थी.
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी इस बात को स्वीकारा है कि उनकी सरकार में ही टेंडर निकले थे, लेकिन उन्होंने कहा कि मजबूती का ध्यान वर्तमान सरकार को रखना था. वर्तमान में भ्रष्टाचार की वजह से मूर्तियां जमींदोज हो गई. वैसे तो महाकालेश्वर मंदिर विस्तारीकरण योजना में अलग-अलग चरण में 400 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की गई है, लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण योजना के तहत महाकाल लोक में मूर्तियों और अन्य विकास कार्यों पर 300 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
105 मूर्तियों पर खर्च हुए सात करोड़
इनमें से 105 मूर्तियां एफआरपी की बनाई गई है, जिस पर लगभग सात करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई है. यह सब कुछ टेंडर और सरकारी दस्तावेजों में अंकित है. उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के मुताबिक, छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हुई हैं. इन क्षतिग्रस्त मूर्तियों के सुधार का काम चल रहा है. एक-दो दिनों में मूर्तियों को पुनः स्थापित कर दिया जाएगा.
98 मूर्तियों को मजबूत करेगा प्रशासन
उन्होंने कहा कि, इसके अलावा मंदिर परिसर में लगाई गई 98 अन्य मूर्तियों को भी मजबूत किया जाएगा. इसके लिए ठेकेदार और तकनीकी रूप से दक्ष अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है. उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, स्मार्ट सिटी के सीईओ आशीष पाठक, महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी और नगर निगम आयुक्त रोशन सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने कई बिंदुओं पर सुरक्षा कारणों को लेकर समीक्षा की है.
अब एक-एक मूर्ति की सुरक्षा को लेकर परीक्षण होगा. इसके तहत मूर्तियों के वजन, उसकी ऊंचाई, चौड़ाई, मूर्ति का बेस का भी परीक्षण होगा. सबसे महत्वपूर्ण मूर्ति के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर भी अलग से बिंदु तय किए गए हैं . इन बिंदुओं के आधार पर 98 मूर्तियों का परीक्षण शुरू हो गया है. जहां जो खामी पाई जाएगी, उसे तुरंत सुधारा जाएगा.
अभी ठेकेदार का 25 करोड़ बाकी
महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के मुताबिक, महाकाल लोक का निर्माण करने वाली कंपनी के अभी 25 करोड़ रुपये शासन के पास जमा है. यदि किसी प्रकार की लापरवाही या त्रुटि महसूस की जाती है, तो आगे कड़े कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने एक बार फिर इस बात को दोहराया है कि महाकाल लोक में क्षतिग्रस्त हुई मूर्ति से शासन-प्रशासन या महाकाल मंदिर समिति को एक रुपेय का भी आर्थिक नुकसान नहीं हुआ है. ठेकेदार की जिम्मेदारी है कि वह पांच सालों तक पूरी तरह इनका रख-रखाव करेगा.