Mahakal Lok: महाकाल लोक में मूर्ति के बाद अब गिरा तीन किलो वजनी लट्टू, कोई हताहत नहीं
Ujjain: महाकाल लोक में मूर्तियों के बाद अब नंदी गेट का बड़ा लट्टू गिर गया. इस घटना ने फिर महाकाल लोक में सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़ें किए हैं. घटना के समय सैकड़ों श्रद्धालु परिसर में मौजूद थे.
Mahakal Lok News: महाकाल लोक (Mahakal Lok) में आंधी के कारण छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त होने के बाद अब पत्थर भी अपना स्थान छोड़ने लगे हैं. यहां गुरुवार को एक पत्रकार की जान बाल-बाल बच गई. पत्रकार के ऊपर लगभग 3 किलो वजनी लट्टू गिर गया. घटना के समय सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु परिसर में मौजूद थे.
उज्जैन (Ujjain) का महाकाल लोक लगातार सुर्खियों में है. महाकाल लोक में कुछ दिनों पहले आंधी की वजह से सप्त ऋषि की छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं. इन मूर्तियों को बनाने का काम लगातार चल रहा है. उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के मुताबिक, दो महीने के भीतर मूर्तियां बन कर लग जाएंगी. वहीं इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस (Congress) बीजेपी (BJP) सरकार को घेर रही है. कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सरकार पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
नंदी गेट का एक बड़ा पत्थर गिरा
इन सबके बीच गुरु गुरुवार को महाकाल लोक के नंदी गेट का एक बड़ा लट्टू ऊपर से गिर गया. पत्रकार मनोज कुशवाह ने बताया कि वो कवरेज करने के लिए महाकाल लोक पहुंचे थे. इस दौरान वहां पत्रकार आशीष सिसोदिया, नासिर बेलिम सहित कई लोग मौजूद थे. वहां पर कांग्रेस के कुछ नेता भी मौजूद थे. इसी बीच 25 फीट ऊंचाई पर लगा लट्टूनुमा पत्थर अचानक नीचे गिर गया. इस घटना में उनकी जान बच गई.
बंसी पहाड़ पत्थर से तैयार किया गया है महाकाल लोक
इस घटना को लेकर जब महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी से संपर्क किया गया, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं मिल पाया. बता दें महाकाल लोक का पूरा परिसर बंसी पहाड़ पत्थर से तैयार किया गया है. यह पत्थर दूसरे पत्थरों की तुलना में थोड़ा कच्चा रहता है. इसी वजह से इस पर नक्काशी करना आसान होता है. महाकाल लोक में पत्थरों को केमिकल के माध्यम से चिपकाया गया है. महाकाल लोक के प्रवेश द्वार पर विशाल नंदी विराजमान हैं. इसी नंदी गेट पर छोटे-छोटे कलश नुमा लट्टू लगाए गए हैं, जिससे द्वार आकर्षक नजर आए. इसी द्वार का एक लट्टू गुरुवार की दोपहर अचानक गिर गया.
बारिश के मौसम में क्या होगा ?
महाकाल लोक के निर्माण के सात महीने बाद ही इसे लेकर तमाम सवाल उठने लगे हैं. अभी महाकाल लोक के परिसर ने पहली बारिश भी नहीं देखी है. बारिश के दौरान भी मूर्तियों और महाकाल लोक के पत्थरों को सुरक्षित रखना काफी कठिन काम दिखाई दे रहा है. महाकाल लोक के निर्माण के बाद मंदिर में दर्शन करने के लिए दो लाख श्रद्धालु रोज आ रहे हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर भी तमाम सवाल खड़े हुए हैं.
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