Mahakal Sawari: लाव-लश्कर के साथ निकाली गई भगवान महाकाल की सवारी, सैकड़ों भक्त हुए शामिल, क्या है धार्मिक महत्व?
Mahakal Sawari 2023: सावन के दूसरे सोमवार को भगवान महाकाल की लाव लश्कर के साथ सवारी निकाली गई जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. सवारी को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे.
Mahakal Sawari In Ujjain: श्रावण मास के दूसरे सोमवार भगवान महाकाल की सवारी निकाली गई, जब राजाधिराज भगवान महाकाल की पालकी निकली तो श्रद्धालुओं ने पलक पावड़े बिछा कर उनका स्वागत किया. भगवान महाकाल का शिप्रा नदी के जल से अभिषेक भी किया गया. इस अनूठी परंपरा के हजारों श्रद्धालु साक्षी बने.
सावन माह में प्रति सोमवार भगवान महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं और प्रजा का हाल-चाल जानते हैं. सावन माह के दूसरे सोमवार सोमवती अमावस्या होने की वजह से सवारी में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली. भगवान महाकाल का मंदिर में विधि विधान के साथ पूजन हुआ. इसके बाद भगवान महाकाल ने मन महेश और चंद्रमौलेश्वर के रूप में प्रजा को दर्शन दिए. इस बार श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए पालकी की ऊंचाई भी डेढ़ फीट बढ़ाई गई थी.
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी राम गुरु के मुताबिक अनादि काल से राजाधिराज भगवान महाकाल प्रजा का हाल-चाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं. इस दौरान पालकी में पुलिस विभाग के घुड़सवार, बैंड आदि लाव लश्कर मौजूद रहता है. सावन के दूसरे सोमवार भी भगवान महाकाल को मुख्य द्वार पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद सवारी मंदिर से नगर भ्रमण के लिए निकली. सावन के दूसरे सोमवार भगवान महाकाल की सवारी में शामिल होने के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित कई विधायक और जनप्रतिनिधि पहुंचे थे.
महाकाल की पालकी की ऊंचाई बढ़ाई
महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि भगवान महाकाल की सवारी में दिन-प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है. इस बार बेरिकेट से दूसरी तरफ खड़े श्रद्धालुओं को आसानी से दर्शन हो सके, इसके लिए पालकी की ऊंचाई को बढ़ाया गया है. पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा के मुताबिक महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था और सवारी मार्ग में लगभग 1000 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है.
शिप्रा के तट पर हुआ जल अभिषेक
भगवान महाकाल की सवारी शहर के विभिन्न मार्गो से होती हुई रामघाट पर पहुंचती है. जहां महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और पुरोहित द्वारा शिप्रा नदी के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया जाता है. इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. इसके बाद फिर पालकी मंदिर के लिए रवाना हुई.
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