Mahashivratri 2023: भोपाल का शिव मंदिर जहां स्वयं प्रकट हुए थे भगवान भोलेनाथ! दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना
Mahashivratri 2023: भोपाल में तीसरा प्राचीन मंदिर मनकामेश्वर मंदिर है. बताया जाता है कि यहां भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए थे. यहां लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए नाम मनकामेश्वर मंदिर पड़ा.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में शनिवार को महाशिवरात्रि (Mahashivaratri 2023) का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाएगा. भोपाल के प्राचीन मंदिरों में पर्व को लेकर साज सज्जा की जा रही है. राजधानी भोपाल में स्थित 8वीं, 11वीं और 12वीं सदी के प्राचीन मंदिरों में यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जाएगा. आठवीं शताब्दी से पूर्व बने लालघाटी स्थित गुफा मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाएगा. बताया जा रहा है इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी से भी पूर्व में हुआ था.
सात गुफाओं से घिरा हुआ है गुफा मंदिर
गुफा मंदिर में हर सोमवार को श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है. पहाड़ों के अंदर होने के चलते यह मंदिर पर्यटन का केन्द्र भी है. बता दें कि साल 1949 में महंत नारायण दास त्यागी ने इस मंदिर की खोज की थी, जिस स्थान पर यह शिवलिंग है वह स्थान सात गुफाओं से घिरा है. मंदिर की खोज के बाद पुर्ननिर्माण कार्य दो अप्रैल 1965 को किया गया था. मंदिर के पुजारी लेखराज शर्मा के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व को लेकर मंदिर में विशेष तैयारियां की जा रही है.
बेतवा नदी के किनारे का भोजपुर मंदिर
राजधानी भोपाल से 30 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर मंदिर में भी महाशिवरात्रि का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाएगा. इस मंदिर में राजधानी भोपाल सहित देश भर के श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. इतिहासकार कहते हैं कि भोजपुर व इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज ने 1010 ई.-1055 ई में कराया गया था. बेतना नदी के किनारे यह मंदिर स्थित है. शिवलिंग की लंबाई 5.5 मीटर (18 फीट), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट) और केवल शिवलिंग की लंबाई 3.85 मीटर (12 फीट) है.
मनकामेश्वर मंदिर में पूरी होती मनोकामना
राजधानी भोपाल में तीसरा प्राचीन मंदिर मनकामेश्वर मंदिर है. यह मंदिर 18वीं सर्दी का बताया जाता है. लालघाटी नेवरी में बने मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास 150 साल पुराना बताया जाता है. मंदिर के बाहर लगी पुरातत्व विभाग की पट्टिका के अनुसार यह मंदिर 18वीं शताब्दी का बताया जाता है. मंदिर की पहचान नेवरी मंदिर के नाम से है. बताया जाता है कि यहां भगवान भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए थे. यहां लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए इस मंदिर का नाम मनकामेश्वर मंदिर पड़ा. पंडित विजय शर्मा के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व को लेकर मंदिर में आकर्षक साज सज्जा की जा रही है. मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा.
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