Mahashivaratri 2023: वनखंडेश्वर मंदिर, जहां पृथ्वीराज चौहान ने की थी शिवलिंग की पूजा, तबसे आज तक जल रही है अखंड ज्योति
Mahashivratri: वनखंडेश्वर महादेव मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में शामिल है. महोबा के चंदेल राजाओं से विजय की कामना सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने की थी. कामना पूरी होने के बाद उन्होंने अखंड ज्योति जलाई.
Vankhandeshwar Mandir : महाशिवरात्रि पर भिंड के शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. वनखंडेश्वर मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, त्रयंबकेश्वर मंदिर, कुंडेश्वर मंदिर, ईश्वर मंदिर, अर्धनारीश्वर मंदिर, अटेर इलाके में प्रसिद्ध बोरेश्वर धाम मंदिर, उमरी इलाके में उमरेश्वर मंदिर, नारदेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. सुबह से शिव महादेव की आराधना में लीन हैं. श्रद्धालु महादेव का गंगा जल से अभिषेक कर रहे शिवपर्व को मना रहे है.
11वीं सदी के प्राचीन वनखंडेश्वर महादेव के मंदिर में नजारा देखने लायक है. दर्शनार्थियों की लाइन करीब एक किलोमीटर लंबी हो गई है. रात 12:00 बजे से शिवभक्त जलाभिषेक की बारी का इंतजार करते नजर आए. जिला मुख्यालय से लगभग 160 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के श्रंगीरामपुर से शिवभक्त गंगाजल पैदल चलकर लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.
ऐतिहासिक है वनखंडेश्वर महादेव का मंदिर
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में कराया था. 1175 में सम्राट पृथ्वीराज चौहान महोबा के चंदेल राजाओं से युद्ध करने के लिए जा रहे थे. उसी दौरान इस बियाबान वनखंड में उनकी सेना ने पड़ाव डाला था. कहा जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान सुबह उठते ही शिव की पूजा करते थे.
उस दौरान उन्होंने वनखंड में शिव मठ का निर्माण कराकर शिवलिंग की स्थापना की और विधि विधान से पूजा अर्चना कर आगे युद्ध पर निकल गए. 11 वीं शताब्दी में भिंड का इलाका बियाबान वन क्षेत्र था. इसी वजह से इसका नाम वनखंडेश्वर पड़ गया और आज भी वनखंडेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने कराया था निर्माण
मंदिर के अंदर उसी समय से अखंड ज्योति जल रही है. कहा जाता है कि चंदेल राजाओं से युद्ध में विजय के बाद वापसी पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने एक बार फिर वनखंडेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की और शिवलिंग के पास ही अखंड ज्योति को प्रज्वलित किया. अखंड ज्योति आज तक निर्बाध रूप से जल रही है. ब्रिटिश राज में सिंधिया राजघराने ने ज्योति को जलाने के लिए पुजारी नियुक्त किए थे.
उनके वंशज आज भी पूजा अर्चना के साथ साथ ज्योति और मंदिर की देखभाल करते हैं. भिंड एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि वनखंडेश्वर मंदिर में भीड़ को काबू करने के लिए करीब 200 जवानों का बल लगाया गया है. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कई थाना प्रभारियों के साथ ही महिला पुलिस बल की भी तैनाती की गई है.