Mahashivratri 2023: एमपी के इस मंदिर में मिलते हैं भगवान शिव के 12 स्वरूपों के दर्शन, इस वजह से है ये बेहद खास
Kachnar Shiva Temple: 17 सालों में ही इस मंदिर की ख्याति पूरे देश में हो चुकी है. मंदिर के सुंदरता के कारण भक्तों को यहां अध्यात्मिक के साथ आत्मिक शांति भी मिलती है.
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Mahashivratri in Jabalpur: नहीं जाना पड़ेगा ओंकारेश्वर, नहीं जाना होगा त्रयम्बकेश्वर, बाबा विश्वनाथ और महाकालेश्वर भी न जा सके तो भी कोई बात नहीं. द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आपको नहीं करनी होगी लंबी-लंबी लम्बी-लम्बी यात्राएं. बल्कि आप चले आइये जबलपुर,जहां भगवान शंकर के सभी बारह रूपों के दर्शन एक ही स्थान पर हो जाएंगे..
दूर से ही नजर आने वाली देवाधिदेव महादेव की 75 फीट ऊंची दिव्य प्रतिमा के दर्शन तो सिर्फ यहीं मिलेंगे. भक्त भी कहां मौका चूकते हैं. शिवरात्रि में सुबह से ही जबलपुर के कचनार शिव मंदिर में भक्तो का तांता लग जाता है. दूर-दूर से भक्त भोले भंडारी के दर्शन और पूजन के लिए चले आते हैं.
जबलपुर शहर के बीचों-बीच भोले शंकर का अद्भुत तीर्थ स्थल है, जहां देवाधिदेव महादेव की 75 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. ये प्रतिमा बेहद अनोखी और आकर्षक है. बड़ी दूर से नजर आने वाली इस मनोहारी प्रतिमा के दर्शन के लिए भक्त भी बड़ी दूर-दूर से आते है. यहां भगवान भोले शंकर अपने भीतर ही द्वादश ज्योतिर्लिंग को भी समाहित किए हुए है. उनके विशालकाय आसन के नीचे बनी गुफा में सभी ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं. शिवरात्रि और सावन माह में इस अनोखे तीर्थ में आकर भक्त भी आनंद विभोर हो जाते हैं. सुबह से ही यहां भक्तों की भारी भीड़ दर्शन और पूजन के लिए चली आती है. एक ही स्थान पर भगवान के सम्पूर्ण बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का मौका कौन हाथ से जाने देना चाहेगा.
75 फीट ऊंची है प्रतिमा
कई टन लोहे और कंक्रीट से बनी कचनार की यह शिव प्रतिमा बिलकुल सजीव नजर आती है. 75 फीट ऊंची इस प्रतिमा को जो भी देखता है, वो खुद को भगवान के बेहद करीब पाता है. तभी तो अपनी स्थापना के सिर्फ 17 सालों में ही इस मंदिर की ख्याति पूरे देश में हो चुकी है. मंदिर के सुंदरता के कारण भक्तों को यहां अध्यात्मिक के साथ आत्मिक शांति भी मिलती है.
महाशिवरात्रि के इस मौके पर यहां भक्त भगवान शिव की भक्ति में धयान मग्न नजर आते हैं. भक्त पूरे दिन जय जय भोले के जयघोष करते रहते हैं. कुछ भक्त ढोल मंजीरा के साथ भोले के भजनों में नाचते गाते नजर आते हैं. आपको बता दें कि शिवरात्रि के दिन कचनार शिव मंदिर में दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं के भगवान भोले के दर्शन करने आने का अनुमान हैं. शिवरात्रि पर भगवान शिव का भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध दही आदि के का पूजन किया जाता है.
2006 में दर्शन के लिए खुला मंदिर
भगवान शिव की यह विशाल मूर्ति सन 2004 में बनकर तैयार हुई थी. 15 फरवरी 2006 में जन दर्शन व पूजा के लिए मंदिर को खोला गया था. इस मूर्ति कि ऊंचाई 75 फीट है. यह एक गुफा के उपर स्थापित है. इस गुफा में 12 ज्योतिर्लिंग है जो कि देश के भिन्न-भिन्न शिव धार्मिक स्थल से लाए गए हैं.
ट्रेन और फ्लाइट से आ सकते हैं यहां
जबलपुर के निकटतम का हवाई अड्डा डुमना शहर से केवल 20 किमी की दूरी पर है. जबलपुर से मुंबई, दिल्ली,चेन्नई, कोलकोता, बेंगलुरु, हैदराबाद, भोपाल और इंदौर के लिए फ्लाइट उपलब्ध है. वहीं जबलपुर मध्य भारत का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है. पश्चिम-मध्य रेलवे काक जोनल कार्यालय इस शहर में है. जबलपुर रेलवे स्टेशन की रेल कनेक्टिविटी दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, वाराणसी, आगरा, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, नागपुर, रायपुर, इलाहाबाद, पटना, हावड़ा, लखनऊ, गुवहाटी, जयपुर और जम्मू जैसे भारत के अनेक शहरों और पर्यटन स्थलों के साथ है. जबलपुर से गुजरने वाली सभी महत्वपूर्ण ट्रेनें यहां रुकती हैं. यह मुंबई-हावड़ा रेल ट्रैक पर स्थित है.
सड़क मार्ग द्वारा
जबलपुर सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. ओल्ड राष्ट्रीय राजमार्ग -7 जबलपुर से गुजरता है, जो वाराणसी को कन्याकुमारी को जोड़ता है. जबलपुर से जुड़े निकटवर्ती महत्वपूर्ण शहर नागपुर, भोपाल, रायपुर, खजुराहो आदि हैं. सड़क मार्ग द्वारा जबलपुर से भारत में किसी भी स्थान पर जाया जा सकता हैं. इसके पास वाराणसी, इलाहाबाद, रायपुर, भोपाल, छतरपुर (खजुराहो के लिए), कान्हा नेशनल पार्क,छिंदवाड़ा,सागर इत्यादि जैसे शहरों के साथ सीधी बस कनेक्टिविटी है.
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