Mahakaleshwar Temple: महाशिवरात्रि के पहले शिव नवरात्रि के दौरान दूल्हे के रूप में दर्शन देने वाले भगवान महाकाल के मंदिर में प्राचीन काल से इन परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है. भगवान महाकाल निराकार रूप से जब साकार रूप लेते हैं तो भक्त दर्शन मात्र के लिए लालायित दिखाई देते हैं. कालों के काल भगवान महाकाल के विवाह के दौरान कई अनूठी परंपराओं का भी निर्वहन किया जाता है. 


महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. महाकालेश्वर मंदिर के आशीष पुजारी बताते हैं कि मंदिर में शिव नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि भगवान महाकाल ने चंदन श्रृंगार, घटाटोप श्रृंगार, मन महेश रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन दे दिए हैं. भगवान महाकाल का विवाह महाशिवरात्रि को माना जाता है विवाह के अगले दिन भगवान महाकाल का सेहरा सजाया जाता है, जिसका दर्शन करने के लिए भी भक्तों को साल भर तक इंतजार रहता है.


शिव भक्त रखते हैं उपवास
पंडित आशीष पुजारी के मुताबिक शिव नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में शिवभक्त उपवास भी रखते हैं. कई शिव भक्तों को शिव नवरात्रि के बारे में जानकारी नहीं होती है तो वे मंदिर पहुंचने के बाद पंडित और पुरोहित से भगवान के अलग-अलग स्वरूपों के बारे में जानकारी भी लेते हैं. सभी रूपों के दर्शन का अलग अलग महत्व है. 


शास्त्रों के मुताबिक निभाई जाती है परंपरा
महाकालेश्वर मंदिर के पंडित आशीष पुजारी के मुताबिक मंदिर की सभी परंपराओं को शास्त्रों और रूढ़िवादी परंपराओं के अनुसार निभाया जाता है. उन्होंने बताया कि शास्त्रों में फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी से शिव नवरात्रि का शुभारंभ बताया गया है. इसी मान्यता के मुताबिक महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है. धर्म शास्त्रों की परंपराओं का पालन करते हुए महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. शिव नवरात्रि का पर्व शिव भक्तों द्वारा उपवास और अन्य साधना कर मनाया जाता है जो कि त्याग, बलिदान, योग, साधना, धर्म के प्रति आस्था का प्रतीक है. 


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