'ओम नम: शिवाय' के स्वर से गूंजा MP का यह शहर, विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के दर्शन के लिए लगा भक्तों का तांता
MP News: एमपी के इस मंदिर को सतरंगी फूलों से सजाया गया है. मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा चाक चौबंद व्यवस्थाएं की गई है. सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से नजर रखी जा रही है.
Happy Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि के मौके पर विश्व की सबसे बड़ी शिवलिंग का दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के भोजपुर में आज ( 8 मार्च) की सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. यहां शिवरात्रि के दिन ओम नम: शिवाय के स्वर से पूरा भोजपुर गूंज रहा है.
महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर आज मंदिर को सतरंगी फूलों से सजाया गया है. मंदिर में श्रद्धालुओं के सैलाब को देखते हुए प्रशासन द्वारा चाक चौबंद व्यवस्थाएं की गई है. सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से नजर रखी जा रही है, जबकि 200 से अधिक पुलिस टीम को यहां तैनात किया गया है.
तीन दिवसीय भोजपुर उत्सव का आयोजन
बता दें रायसेन जिले में विश्व की सबसे बड़ी शिवलिंग है. राजधानी भोपाल से यह महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है. हर साल की तरह इस साल भी शिवरात्रि के विशेष मौके पर यहां मेला लगा हुआ है. संस्कृति विभाग द्वारा तीन दिवसीय भोजपुर उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. आज शिवरात्रि के विशेष अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. प्रदेश भर से श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं.
विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के दर्शन करने उमड़ रहा भक्तों का सैलाब ओम नम: शिवाय के स्वर से गूंज रहा मध्यप्रदेश का भोजपुर @ABPNews @brajeshabpnews @abplive @SushantUP78 pic.twitter.com/TOBHgIZxA3
— Nitinthakur ABN NEWS (@Nitinreporter5) March 8, 2024
राजाभोज ने कराया था निर्माण
बताया जाता है कि भोजपुर मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज द्वारा कराया गया था. यह मंदिर प्रकृति के बीच बना हुआ है, जहां से बेतना नदी गजरती है, उसी बगल इस मंदिर निर्माण किया गया है. मंदिर बेतना नदी के तट पर विंध्य पवर्तमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है.
वहीं मंदिर में स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 18 फीट है. खास बात यह है कि 40 फीट ऊंचाई वाले इसके चार स्तम्भ हैं. गर्भगृह की अधूरी बनी छत इन्हीं चार स्तंभों पर टिकी है. इसके अतिरिक्त भूविन्यास, सतम्भ शिखर, कलश और चट्टानों की सतह पर आशुलेख की तरह उत्कीर्ण नहं किए हैं.