Makar Sakranti Snan Ban: कोरोना के लगातार मामले बढ़ने की वजह से एक बार फिर मकर संक्रांति के स्नान पर उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने प्रतिबंध लगा दिया है.  श्रद्धालुओं से जिला प्रशासन द्वारा अपील की गई है कि वे अपने घर पर लेकर पूजा अर्चना करें और राम घाट पर पहुंचकर शिप्रा नदी में सामूहिक स्नान की कोशिश न करें. कोरोना की तीसरी लहर के चलते धार्मिक आयोजनों पर भी गाइडलाइन का असर पड़ रहा है. प्रदेश सरकार ने विगत दिवस नई गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें मेले और सामूहिक स्नान पर भी रोक लगा दी थी.


इसी तारतम्य में उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने मकर संक्रांति के स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया है. कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि मकर संक्रांति पर्व पर हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं.  कोविड गाइडलाइन के चलते सामूहिक स्नान पर रोक लगी हुई है. संक्रमण जिस तरह तेजी से फैल रहा है, उसे दृष्टिगत रखते हुए आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाएगा.


भक्त घर पर रहकर करें पूजा-अर्चना
उज्जैन के डीएम ने कहा कि जिले ही नहीं बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे मकर संक्रांति पर्व पर शिप्रा नदी में स्नान के लिए नहीं आए.  श्रद्धालु अपने घर पर ही रह कर पूजा अर्चना करें. जिला प्रशासन के साथ-साथ पुलिस विभाग ने भी आदेश का कड़ाई से पालन कराने की बात कही है . एडिशनल एसपी अमरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि धारा 144 लागू है. ऐसी स्थिति में यदि कोई नियम तोड़ता है तो उसके खिलाफ धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा.


मकर संक्रांति स्नान के लिए किए थे पर्याप्त इंतजाम
उज्जैन में जिला प्रशासन ने जनवरी माह के प्रथम सप्ताह से ही मकर संक्रांति के स्नान को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थी. उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह की अगुवाई में जल संसाधन विभाग द्वारा नर्मदा का जल भी शिप्रा नदी में प्रवाहमान किया गया था. इसके अलावा इंदौर से आने वाली खान नदी का प्रदूषित जल भी आई स्थाई डैम बना कर रोक दिया गया था. जिला प्रशासन के इंतजामों पर सरकार की गाइडलाइन के कारण पानी फिर गया.


शिप्रा नदी में स्नान का विशेष महत्व
पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक शिप्रा नदी में स्नान और तिल के दान का मकर संक्रांति पर्व पर विशेष महत्व है. देशभर के श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने के साथ भगवान महाकाल का आशीर्वाद देने के लिए आते हैं. शिप्रा नदी उत्तरवाहिनी होने की वजह से उस में डुबकी लगाने का फल गंगा नदी में स्नान के बराबर ही मिलता है.


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