MP NEWS: मकर संक्रांति पर्व पर स्नान और ध्यान का विशेष महत्व माना जाता है. धार्मिक नगरी उज्जैन में शिप्रा तट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर स्नान, दान, धर्म कर पुण्य लाभ कमाया. शिप्रा नदी का शास्त्रों में काफी महत्व बताया गया है. शिप्रा नदी को सभी पवित्र नदियों में तिल भर बड़ा बताया गया है, इसलिए यहां पर देशभर के श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. 


शिप्रा के तट पर दान-धर्म का मिलता है विशेष लाभ
मकर संक्रांति पर शिप्रा में स्नान और दान का महत्व होने की वजह से इस पर्व पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं. रविवार को मकर संक्रांति का पर्व स्नान बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. श्रद्धालुओं ने शिप्रा तट पर पहुंचकर राम घाट के किनारे पितरों के निमित्त तर्पण किया. 


इसके बाद पूजा अर्चना कर धर्म लाभ कमाया. इस दौरान पंडित और पुरोहित को दान भी दिया गया, वहीं लोगों ने गाय को घास भी खिलाई. पंडित राधेश्याम गुरु ने बताया कि शिप्रा तट पर किया गया दान और धर्म का देशभर की दूसरी पवित्र नदियों के तट पर किए गए दान-धर्म से तिलभर बड़ा महत्व माना जाता है. अवंतिकापुरी को शास्त्रों में भी तिलभर बड़ा बताया गया है. शिप्रा नदी का शास्त्रों में विशेष महत्व है. 


उत्तरवाहिनी है शिप्रा नदी
गंगा के बाद उज्जैन की शिप्रा नदी भी उत्तरवाहिनी है. उत्तर की दिशा देवताओं की दिशा मानी जाती है, इसलिए शिप्रा नदी के राम घाट पर स्नान के बाद पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना गया है. मकर संक्रांति पर्व पर उज्जैन के अन्य धार्मिक स्थलों में भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली. श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ की वजह से सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के भी आज विशेष इंतजाम किए गए थे. 


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