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Lok Sabha Election 2024: मंडला में 2014 में हारे प्रत्याशी पर कांग्रेस से फिर लगाया दांव, पढ़ें इस सीट का सियासी समीकरण

MP Lok Sabha Election 2024: स्वतंत्रता के बाद हुए लोकसभा चुनाव में मंडला की राजनीति में तीन नेता कांग्रेस के मगरू गनु उइके, मोहनलाल झिकराम और BJP के फग्गन सिंह कुलस्ते के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है.

Mandla Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए सुरक्षित मंडला सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बाद कांग्रेस (Congress) ने भी अपनी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और चार बार के विधायक ओंकार सिंह मरकाम को मैदान में उतारा है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कुलस्ते के खिलाफ ओंकार सिंह मरकाम को हार का सामना करना पड़ा था. दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद यह माना जा रहा है कि इस बार मंडला सीट पर फिर से मुकाबला बेहद रोचक होगा.

मंडला सीट से दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों पर बात करने से पहले एक बार इसका इतिहास जान लेते है. मंडला संसदीय सीट की बात की जाए तो यह कान्हा नेशनल पार्क के बाघों (Tiger) के लिए पूरी दुनिया के पर्यटकों में प्रसिद्ध है.

मंडला का कान्हा किसली टाइगर रिजर्व बाघ देखने वाले देश-विदेश के पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगह है. इसी तरह मंडला जिले के निवास का फॉसिल्स पार्क भी पूरी दुनिया में फेमस है. नर्मदा नदी के किनारे बसे मंडला जिले के साल और सागौन के जंगल पूरे इलाके की ऑक्सीजन सप्लाई का मुख्य सोर्स है.

पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या है ज्यादा
राजनीतिक हिसाब से देखें तो आदिवासियों के लिए आरक्षित मध्य प्रदेश की मंडला संसदीय सीट में 50 फीसदी से अधिक मतदाता आदिवासी वर्ग से हैं. आदिवासी मतदाता ही मंडला सीट पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. मंडला लोकसभा सीट 3 जिलों मंडला डिंडोरी और सिवनी जिले में आती है.

दरअसल, मंडला और डिंडौरी जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले 12 हजार से ज्‍यादा हैं. बाकी विधानसभा सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले 13 हजार 858 ही कम है.मंडला संसदीय क्षेत्र में शामिल कुल आठ विधानसभा सीटों में से छह विधानसभा सीटें डिंडौरी, शहपुरा, मंडला, निवास, बिछिया व लखनादौन एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

ये रहा है इतिहास
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि स्वतंत्रता के बाद हुए लोकसभा चुनावों में मंडला सीट की राजनीति तीन नेताओं कांग्रेस के मगरू गनु उइके व मोहनलाल झिकराम और बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. साल 1952 से 1971 तक के चुनावों में लगातार कांग्रेस के मंगरू गनु उइके लोकसभा में मंडला संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे है.

मंडला संसदीय सीट पर पहली बार परिवर्तन इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में दिखा. साल 1977 में जनता पार्टी के श्यामलाल धुर्वे ने भारतीय लोकदल के टिकट पर जीत दर्ज करके कांग्रेस का किला पहली बार ध्वस्त किया था. इसके बाद साल 1980 से 1991 तक के सभी चुनावों में कांग्रेस ने फिर मंडला का किला फतह करके इस सीट को अपने पास रखा.1980 से कांग्रेस के मोहनलाल झिकराम चार बार लगातार सांसद निर्वाचित हुए.

इसके बाद से बीजेपी ने एक बार फिर मंडला सीट पर अपनी पकड़ बनाई. साल 1996 से अब तक बीजेपी के आदिवासी नेता व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते छह बार मंडला सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं. हालांकि, साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार बसोरी सिंह मसराम से हार का सामना करना पड़ा था.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते फगन सिंह कुलस्ते एक बार फिर मंडला जिले के सांसद बन गए. इसके बाद से फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी मैजिक के सहारे इस सीट को बीजेपी का मजबूत गढ़ बनाए हुए हैं.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते ने कांग्रेस के कमल मरावी को हराया है.सातवीं बार सांसद बने कुलस्ते को 7 लाख 37 हजार 266 वोट मिले थे.वहीं, कांग्रेस के कमल मरावी को 6 लाख 39 हजार 592 वोट मिले.कुलस्ते ने कांग्रेस के कमल सिंह मरावी को 97 हजार 674 वोटों के अंतर से हराया था.

बीजेपी ने एक बार फिर जताया भरोसा 
यहां बता दे कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में निवास सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते को हार का सामना करना पड़ा था,जिसके बाद चर्चा थी कि पार्टी इस बार मंडला लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बदल सकती है.लेकिन, बड़ा आदिवासी चेहरा होने का कारण बीजेपी ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते पर ही भरोसा जताया और उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया.

वहीं,ओंकार सिंह मरकाम को साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मंडला सीट से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन डिंडोरी सीट से विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस ने उन्हें सबसे मजबूत उम्मीदवार माना है.

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि विधानसभा चुनाव के दौरान आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है. इस वजह से मंडला लोकसभा सीट बीजेपी के लिए चिंता का कारण भी है. हालांकि,पार्टी के उम्मीदवार फग्गन सिंह कुलस्ते यहां से सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी हार से बीजेपी को झटका लगा था.

रविन्द्र दुबे कहते हैं कि फग्गन सिंह कुलस्ते पार्टी का बड़ा आदिवासी चेहरा है. इस वजह से उनकी टिकट पर छाया कोहास पहली ही लिस्ट में छंट गया.

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