Lok Sabha Election 2024: क्या बीजेपी का मंडला का किला भेद पाएगी कांग्रेस? सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के सामने क्या है चुनौती?
MP Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है. प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. इस बार प्रदेश की मंडला लोकसभा सीट चर्चा में बनी है, जानें वजह-
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Mandla Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों और उम्मीदवारों के नाम का ऐलान अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन इस वक्त मध्य प्रदेश की हॉट सीटों के सियासी गणित पर चर्चा तेज है. मोदी सरकार के मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की मंडला सीट इन दिनों राजनीति के फोकस में है. आदिवासियों के लिए आरक्षित मंडला सीट पर हालांकि 1996 से बीजेपी का ही वर्चस्व है, लेकिन बीच में एक चुनाव में उसे हार का भी सामना करना पड़ा था. आज हम अपनी लोकसभा चुनाव की सीरीज में मंडला सीट की ही चर्चा करेंगे.
मध्य प्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें है. लोकसभा चुनाव के लिए मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है. एक मात्र खजुराहो सीट पर बीजेपी को कांग्रेस की बजाय समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार से दो-दो हाथ करना होगा. यह सीट इंडिया गठबंधन से समझौते के तहत कांग्रेस समाजवादी पार्टी को दे दी है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी. अब अगर बात मंडला संसदीय सीट की बात की जाए तो यह अपने बाघों (Tiger) के लिए पूरी दुनिया के पर्यटकों में प्रसिद्ध है.
आदिवासी वोटर्स की भूमिका अहम
मंडला का कान्हा टाइगर रिजर्व बाघ देखने वालों के लिए पसंदीदा नेशनल पार्क है. इसी तरह मंडला जिले के निवास का फॉसिल्स पार्क भी पूरी दुनिया में फेमस है. आदिवासी गौड़ राजाओं के रामनगर के किले के साथ नर्मदा नदी के किनारे बसे मंडला जिले के साल और सागौन के जंगल पूरे इलाके की ऑक्सीजन सप्लाई का मुख्य सोर्स है. राजनीतिक हिसाब से देखें तो आदिवासियों के लिए आरक्षित मध्य प्रदेश की मंडला संसदीय सीट में 50 फीसदी से अधिक मतदाता आदिवासी वर्ग से हैं. आदिवासी मतदाता ही मंडला सीट पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं.
तीन नेताओं के गिर्द घूमती मंगला की सियासत
मंडला लोकसभा सीट 3 जिलों मंडला, डिंडोरी और सिवनी जिले में आती है. दरअसल, मंडला और डिंडौरी जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले 12 हजार से ज्यादा हैं. बाकी विधानसभा सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले 13 हजार 858 ही कम है. मंडला संसदीय क्षेत्र में शामिल कुल आठ विधानसभा सीटों में से छह विधानसभा सीटें डिंडौरी, शहपुरा, मंडला, निवास, बिछिया और लखनादौन एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि स्वतंत्रता के बाद हुए लोकसभा चुनावों में मंडला सीट की राजनीति तीन नेताओं कांग्रेस के मगरू गनु उइके और मोहनलाल झिकराम और बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है.
मंडला में कब कौन जीता?
साल 1952 से 1971 तक के चुनावों से लगातार कांग्रेस के मंगरू गनु उइके लोकसभा में मंडला संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे है. मंडला संसदीय सीट पर पहली बार परिवर्तन इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में दिखा. साल 1977 में जनता पार्टी के श्यामलाल धुर्वे ने भारतीय लोकदल के टिकट पर जीत दर्ज करके कांग्रेस का किला पहली बार ध्वस्त किया था. इसके बाद साल 1980 से 1991 तक के चुनावों में कांग्रेस ने फिर मंडला का किला फतह करके वापसी की. 1980 से कांग्रेस के मोहनलाल झिकराम चार बार लगातार सांसद निर्वाचित हुए.
इसके बाद से बीजेपी ने एक बार फिर मंडला सीट पर अपनी पकड़ बनाई. साल 1996 से अब तक बीजेपी के आदिवासी नेता और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते छह बार मंडला सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं. हालांकि, साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार बसोरी सिंह मसराम से हार का सामना करना पड़ा था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते फगन सिंह कुलस्ते एक बार फिर मंडला जिले के सांसद बन गए.
इसके बाद से फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी मैजिक के सहारे इस सीट को बीजेपी का मजबूत गढ़ बनाए हुए हैं. हालांकि, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में निवास सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते की हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. इसके बाद चर्चा हो रही है कि पार्टी इस बार मंडला सीट पर अपना उम्मीदवार बदल सकती है.वहीं, कांग्रेस भी आदिवासियों के बीच बढ़ती पैठ के चलते मंडल सीट पर जीत की उम्मीद लगाए बैठी है.
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