MP News: कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) के बाद अब मंदसौर (Mandsaur) के गांधी सागर अभ्यारण (Gandhi Sagar Sanctuary) में भी चीतों (Cheetahs) को बसाने की कार्य योजना है. बताया जा रहा है कि बारिश के बाद अफ्रीका से चीतों की खेप को गांधी सागर अभ्यारण में रखा जाएगा. हालांकि चीतों को भेजने से पहले अफ्रीका ने एक शर्त रख दी है. शर्त के मुताबिक पहले गांधी सागर अभ्यारण में मौजूद तेंदुओं को बाहर निकालना होगा.


बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों ने गांधी सागर अभ्यारण का निरीक्षण किया था. इस दौरान विशेषज्ञों को तेंदुए होने की जानकारी मिली. चीतों में संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए उन्होंने गांधी सागर अभ्यारण प्रबंधन से तेंदुओं को बाहर करने की शर्त रखी थी. अफ्रीकी विशेषज्ञों से मिले सुझाव के बाद वन विभाग ने निर्देश जारी किया है. वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने गांधी सागर अभ्यारण से तेंदुओं को खदेड़ने की अधिकारियों को हिदायत दी है. 


चीतों के लिए तैयार गांधी सागर अभ्यारण
सूत्रों के मुताबिक गांधी सागर अभ्यारण में तैयारी शुरू हो गयी है. चीतों के लिए 8 क्वॉरंटीन बाड़े बनाए गए हैं. सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. चीतों का इलाज करने के लिए एक मेडिकल यूनिट को भी तैनात किया गया है. माना जा रहा है कि बारिश के बाद ठंड में अफ्रीका से चीतों की खेप आ जाएगी.


गांधी सागर अभ्यारण के रावलीकुडी में 28 किलोमीटर लंबा बाड़ा बनाया गया है. बाड़ा 64 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. चीतों के लिए प्रति वर्ग किलोमीटर 20 शाकाहारी वन्य प्राणियों की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में प्रति वर्ग किलोमीटर 15 ही शाकाहारी वन्य प्राणी हैं. 1250 वन्य प्राणी अभी तीन सेंचुरी से आना शेष हैं. बताया जा रहा है कि बारिश से पहले प्रति वर्ग किलोमीटर 20 शाकारी वन्य प्राणियों की संख्या हो जाएगी. 


सितंबर 2022 में नामीबिया से आए थे चीते
बता दें कि 70 साल बाद भारत में चीतों को फिर से बसाया गया है. 17 सितंबर 2022 को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए. कूनो नेशनल पार्क के बाद अब गांधी सागर अभ्यारण में चीतों को बसाने की प्लानिंग है.


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