MP News: मंदसौर का सहस्त्र शिवलिंग जल्द ही शिव भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने वाला है. इसमें खास बात यह है कि सहस्त्र शिवलिंग पर वज्र लेपन कराया जा रहा है ताकि वर्षों तक क्षरण की घटना से बचाया जा सके. सहस्त्र शिवलिंग वर्षों पहले शिवना नदी से मिला था. पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी अभिषेक भट्ट ने बताया कि सहस्त्र शिवलिंग का शास्त्रों में काफी महत्व बताया गया है. मंदसौर के सहस्त्र शिवलिंग पर 1008 शिवलिंग स्थापित है. यहां पूजा अर्चना का विशेष महत्व माना गया है, फिलहाल मंदिर को तैयार करवाया जा रहा है.
मंदिर समिति ने सहेज कर रखा है शिवलिंग
पंडित भट्ट के मुताबिक यह शिवलिंग शिवना नदी से प्राप्त हुआ था. पशुपतिनाथ भगवान की मूर्ति के मिलने के कुछ साल बाद नदी से यहां विशेष प्रकार के शिवलिंग को प्राप्त किया गया था. यह शिवलिंग मंदिर समिति द्वारा सहज का रखा गया था. इसकी स्थापना का कार्य तेजी से चल रहा है. वैसे तो पशुपतिनाथ भगवान शिव भक्तों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र है, लेकिन सहस्त्र शिवलिंग के दर्शन और पूजा अर्चना करने के लिए भी यहां आने वाले समय में भक्तों का सैलाब उमड़ेगा.
सहस्त्र शिवलिंग का पुरातत्व महत्व
मंदिर के प्रबंधक राहुल रुनवाल ने बताया कि पुरातत्व विशेषज्ञों ने भी शिवलिंग के पत्थर को काफी प्राचीन बताया है. यह पत्थर डेढ़ से 2000 साल पुराना हो सकता है. इसके अलावा सहस्त्र शिवलिंग पर शिव भक्तों द्वारा शहद, शक्कर, दूध, दही, जल आदि का पंचामृत पूजन और अभिषेक किया जाता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए वज्र का लेपन कराया जा रहा है.
देश में चंद स्थानों पर ही है सहस्त्र शिवलिंग
पंडित अभिषेक भट्ट ने बताया कि देश में चंद स्थानों पर सहस्त्र शिवलिंग है. इसमें राजस्थान के उदयपुर व अन्य कुछ स्थान शामिल है, मगर मंदसौर का सहस्त्र शिवलिंग अपने आप में कई विशेषताओं को संजोए हुए हैं. यहां के सहस्त्र शिवलिंग में 1008 शिवलिंग है.
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