MP News: एमपी में हिंदी में पढ़ाई कर सकेंगे MBBS छात्र, शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने किया पुस्तकों का वितरण
Vishvas Kailash Sarang News: राज्य स्तरीय समारोह में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने गुरुवार को एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को नि:शुल्क पुस्तकों का वितरण किया है.
Madhya Pradesh News: एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थी अब हिन्दी पुस्तकों से पढ़ाई करेंगे. आज गुरुवार हमीदिया अस्पताल के सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को नि:शुल्क पुस्तकों का वितरण किया है. इस दौरान मंत्री विश्वास सारंग ने विद्यार्थियों से संवाद भी किया. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए मंत्री सारंग ने कहा कि हिंदी में एमबीबीएस 2.0 की भी शुरूआत हो चुकी है. इसके तहत सितंबर माह तक एमबीबीएस सेकंड, थर्ड एवं फोर्थ ईयर की भी हिंदी पाठ्यपुस्तकें तैयार हो जाएंगी.
प्रयास से ही मिलती है सफलता
हमीदिया अस्पताल के सभागार में आयोजत राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने की बात कही थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यही बात दोहराई थी. उन्होंने कहा कि 14 सितंबर 2021 को हमने हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ करने का संकल्प लिया था.
इस पर कई लोगों ने कहा था कि मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में प्रारंभ करना नामुमकिन है, परंतु इसे एक चुनौती मानकर युद्धस्तर पर कार्य किया. मंत्री विश्वास सारंग ने इस कार्य में जुटे प्रत्येक व्यक्ति की सराहना करते हुए कहा कि प्रयास से ही सफलता मिलती है, हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई इसका अमिट उदाहरण, जिससे हिंदी माध्यम के चिकित्सा विद्यार्थियों की राह अब आसान होगी.
विद्यार्थियों से किया संवाद
नि:शुल्क पुस्तक वितरण के पश्चात मंत्री ने गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों से पठन.पाठन में पुस्तकों की उपयोगिता को लेकर संवाद किया. अपना अनुभव साझा करते हुए चिकित्सा विद्यार्थी अंकित पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने नीट की परीक्षा हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण की थी.
चिकित्सा महाविद्यालय में आने के पश्चात वे अंग्रेजी में ही पढ़ाई करने के लिये बाध्य हो जाते, परंतु हिंदी में पाठ्यपुस्तकों के उपलब्ध होने से भाषा की बाधा समाप्त हो गई है, वहीं चिकित्सा विद्यार्थी उदिता वर्मा ने बताया कि वे अंग्रेजी माध्यम से आती हैं. चुंकि अपनी मातृभाषा में विषयों को समझना आसान होता है इसीलिये यह हिंदी पाठ्यपुस्तकें सभी विद्यार्थियों के लिये बेहद लाभदायक सिद्ध होंगी.
तकनीकी शब्दों को देवनागरी में लिखा गया
मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि एमबीबीएस प्रथम वर्ष की तीनों पाठ्यपुस्तकों एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो कैमेस्ट्री का हिंदी में रूपांतरण किया गया है. इनमें व्यवहारिक पक्ष रखते हुए तकनीकी शब्दों को देवनागरी लिपि में लिखा गया है ताकि विद्यार्थियों को समझने में आसानी हो. उन्होंने कहा कि यह पहला प्रयास है, वहीं परिवर्तन की आवश्यकता होने पर अगले संस्करण में सुधार किया जाएगा.
चिकित्सा विद्यार्थियों के जीवन में होगा परिवर्तन
मंत्री ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के 70 वर्षों तक हिंदी में पाठ्यपुस्तकें लाने का विचार तो किया गया लेकिन इस हेतु कार्य नहीं किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा निति लागू कर सदियों से चली आ रही लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति को बदलने का काम किया है. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिये गर्व का विषय है कि मध्यप्रदेश हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ कराने वाला देश का पहला राज्य है. अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई करने से चिकित्सा विद्यार्थियों के जीवन में अमूलचूल परिवर्तन होगा।.
सितंबर तक उपलब्ध होगी सेकंड-थर्ड की हिंदी पाठ्यपुस्तकें
मंत्री ने बताया कि हिंदी में एमबीबीएस 2.0 की शुरूआत हो चुकी है. इसके तहत द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष की पुस्तकों के लिप्यंतरण कार्य की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है. उन्होंने बताया कि लिप्यंतरण कार्य के लिये 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ठ मंदार वॉररूम की स्थापना की गई है. इस कार्य में पहली बार सॉफ्टवेयर आधारित एआई का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे सितंबर माह तक एमबीबीएस सेकंड, थर्ड और फोर्थ ईयर की हिंदी पाठ्यपुस्तकें भी उपलब्ध होंगी.
कार्यक्रम में यह रहे उपस्थित
कार्यक्रम के दौरान आयुक्त चिकित्सा शिक्षा गोपाल चंद्र डाड, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. अरूण कुमार श्रीवास्तव, समस्त 13 शासकीय मेडिकल कॉलेजों के अधिष्ठाता, स्टेट नोडल अधिकारी हिंदी प्रकोष्ठ डॉ. लोकेंद्र दवे, हमीदिया अस्पताल अधिक्षक डॉ. आशीष गोहिया, गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के 300 से अधिक एमबीबीएस विद्यार्थी और चिकित्सा शिक्षक मौजूद रहे. इसी के साथ प्रदेश के 12 चिकित्सा महाविद्यालयों के 2055 चिकित्सा विद्यार्थी, फैकल्टी एवं स्टाफ वीडियों कांफ्रेंस द्वारा शामिल हुए.