MP High Court on MP PG Student Bond: एमपी हाईकोर्ट (MP High Court) ने मध्यप्रदेश मेडिकल एण्ड पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स प्रवेश नियम 2014 की व्याख्या करते हुए कहा कि मेडिकल पीजी कोर्स (MP Medical PG Course) का रिजल्ट आने के तीन महीने के अंदर अगर सरकार नियुक्ति नहीं देती है तो ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने का बांड खुद ही खत्म हो जाता है. कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने कहा ऐसी स्थिति में संबंधित डॉक्टर पर बांड (MP PG Student Bond) की कोई भी शर्त पूरी करने की बाध्यता नहीं रहेगी.
वापस किए जाएंगे याचिकाकर्ता के दस्तावेज -
इस मत के साथ हाई कोर्ट के जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस डीडी बंसल की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिए कि याचिकाकर्ता डॉक्टर राहुल मित्तल को उसके मूल शैक्षणिक दस्तावेज और एनओसी दे दी जाएं. कोर्ट ने इस काम को पूरी करने के लिए 60 दिन का समय भी दिया है.
क्या है मामला -
आगरा निवासी डॉ. राहुल मित्तल की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने एमबीबीएस करने के बाद 2014 में ऑल इंडिया प्री-पीजी उत्तीर्ण की थी. इसके आधार पर उन्हें ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी से पीजी डिप्लोमा कोर्स की सीट का आवंटन हुआ. पीजी कोर्स ज्वॉइन करने के पहले याचिकाकर्ता से एक बांड भराया गया, जिसके तहत पीजी कोर्स पास करने के बाद उन्हें 1 साल तक राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में अनिवार्य रूप से अपनी सेवाएं देनी होंगी. ऐसा नहीं करने पर शर्त के अनुसार उन्हें सरकार को 8 लाख रुपए देना होगा.
नहीं दी समय के अंदर नियुक्ति -
अधिवक्ता संघी ने तर्क दिया कि उक्त मेडिकल प्रवेश नियम के रूल 11 के तहत मेडिकल पीजी कोर्स का रिजल्ट घोषित करने के 3 महीने के अंदर आयुक्त स्वास्थ्य सेवाओं को सफलतम उम्मीदवार को ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति देना अनिवार्य है. ऐसा नहीं होने पर बांड की शर्तें खुद समाप्त हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता का रिजल्ट 3 मार्च 2017 को उत्तीर्ण घोषित किया गया. कई बार आवेदन देने के बावजूद अब तक उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति नहीं दी गई.
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