Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजनीति में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का राजनीतिक कद 2 साल से लगातार बढ़ रहा है. उन्हें 2 साल में 4 प्रमोशन मिल चुके हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी (BJP) में आए हुए अभी दो साल भी नहीं हुए थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें सरकार से लेकर संगठन तक में बड़ी जिम्मेदारी दे दी है. सरकार में शामिल होने के तीन महीने बाद ही (4 अक्टूबर 2021) उन्हें बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दे दी थी. वहीं राज्यसभा सांसद, मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री का पद मिला.

 

जहां एक और उनके विरोधी लगातार तंज कसते हुए और उन्हें घेरते दिखाई देते हैं. वहीं दूसरी ओर भाजपा में भी अंदर खाने कुछ लोग सिंधिया की बढ़ती हुई ताकत से परेशान हैं. सिंधिया बीजेपी के कद्दावर नेताओं में टॉप की सूची में शामिल हैं. पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इर्द-गिर्द भाजपा के केवल एक-दो नाम ही सुनाई पड़ते थे. अब शिवराज सिंह चौहान के बाद कई जगह पर सिर्फ सिंधिया-सिंधिया की ही आवाजें सुनाई देती हैं.

 

जैन मुनि ने सिंधिया के सीएम बनने की भविष्यवाणी

 

हाल ही में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ग्वालियर प्रवास के दौरान जैन मुनी विहर्ष सागर महाराज के कार्यक्रम में पहुंचे. इस दौरान जैन मुनि ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के जल्दी ही मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी की, जिसके बाद लगातार दो-तीन दिनों से प्रदेश के सियासी गलियारों में तरह-तरह की काना-फूसी सुनाई देने लगी है. यदि राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो सिंधिया बीजेपी में दूसरे दल से आने वाले ऐसे पहले नेता बने हैं, जिनका कद लगातार बढ़ ही रहा है.

 

सिंधिया के 11 करीबी विधायक एमपी सरकार में हैं मंत्री

 

बीजेपी में उनके प्रमोशन हो रहे हैं. साथ ही साथ उनके समर्थक 19 विधायकों में से 11 वर्तमान मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री के पद पर काबिज हैं, तो वहीं उनके हारे हुए समर्थक भी निगम मंडलों पर आसीन हैं. ऐसे में सिंधिया के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव को नजरअंदाज करना भी सही नहीं होगा. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बतौर मुख्यमंत्री बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रमोट नहीं कर सकती, क्योंकि मध्य प्रदेश भाजपा के साथ-साथ संघ की भी पकड़ वाला प्रमुख राज्य है. जिसमें बिना संघ की मर्जी के भाजपा के अंदर पत्ता भी नहीं हिलता है. ऐसे में गैर संघी बैकग्राउंड से आने वाले किसी राजनेता को सीधे मुख्यमंत्री के पद पर काबिज कर देना भाजपा की रीति-नीति से प्रभावित नहीं दिखाई देता है.

 

पुराने कार्यकर्ता कर रहे हैं असहज महसूस 

 

कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जिस प्रकार का कद और सामर्थ्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीते 1 साल में दिखाया है. उससे भविष्य के गर्त में जो छुपा हो सकता है, उसे लेकर अभी केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं. सिंधिया की असली ताकत आगामी विधानसभा चुनाव में ही दिखाई पड़ेगी, जब वह भाजपा के पुराने नेताओं के साथ टिकट वितरण में सामंजस्य स्थापित कर पाएंगे. दूसरी ओर कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ग्वालियर, चंबल संभाग के पुराने भाजपा नेताओं में अभी से ही असमंजस की स्थिति है, क्योंकि अभी सारे निर्णय लगभग सिंधिया के ही हिसाब से हो रहे हैं. ऐसे में भाजपा के पुराने और स्थानीय कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहे हैं.

 

अब देखने वाली बात होगी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लगातार मंच से तारीफ करने वाले सिंधिया क्या उनके साथ तालमेल बैठाने में अटकलों के बीच लंबे समय तक सफल हो पाते हैं. वहीं भाजपा में एक धड़ा नरोत्तम मिश्रा, वीडी शर्मा और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज नेताओं को भी मध्य प्रदेश के भविष्य के तौर पर देख रहा है. लेकिन जिस तरह से मोदी कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया का युवा चेहरे के रूप में वर्चस्व है, वह अपने आप में काफी बड़े संकेत देता है.

 

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