Indore Temple Tragedy: राहत और बचाव अभियान में नहीं होती चूक तो बच सकती थीं कई जिंदगी, लापरवाही ने ले ली 36 जानें
Indore Temple Accident: इस हादसे के बाद यह बात साफ हुई कि अगर नगर निगम, प्रशासन, एसडीआरएफ और फायर ब्रिगेड बाबड़ी और अपने इंतजाम को लेकर गंभीर होते तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
Indore Temple Stepwell Collapse: इंदौर के श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर में राम नवमी के दिए हुए हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई थी. मंदिर के बाबड़ी से अंतिम शव सुनील सोलंकी का निकाला गया था. एनडीआरएफ और सेना के जवानों ने 19 घंटे तक राहत और बचाव अभियान चलाया था. अभियान खत्म होने के बाद घटनास्थल को टीन से सील कर दिया गया है. इस हादसे के बाद यह बात साफ हुई है कि अगर नगर निगम, प्रशासन, एसडीआरएफ और फायर ब्रिगेड बाबड़ी और अपने इंतजाम को लेकर गंभीर होते तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
इस हादसे के बाद पुलिस ने मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली कुमार सोमनानी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है. हादसे के बाद नगर निगम प्रशासन ने भवन अधिकारी आरपी अरोलिया और भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी को निलंबित कर दिया गया है. इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने शहर के कुएं, बावड़ी और नदियों पर हुए अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए हैं.
कहां-कहां हुई चूकें
- करीब 19 घंटे तक चले राहत और बचाव अभियान के दौरान कुछ चूक भी हुई. इनको देखने से ऐसा लगता है कि अगर ये चूकें नहीं होतीं तो कुछ और लोगों की जान बचाई जा सकती हैं.आइए जानते हैं कि इस अभियान में क्या कमी रह गई.
- हादसे के बाद माना गया कि बाबड़ी में केवल पांच फिट तक ही पानी है, जबकि उसमें 30 फिट तक पानी था.
- हादसे के बाद बाबड़ी में 50 लोग गिरे थे, लेकिन जब राहत और बचाव का काम शुरू किया गया तो वहां 10 लोगों के भी बचाने के इंतजाम नहीं थे.
- शुरू में बावड़ी में ऐसी डाली गई जिसके टूटने से ही जान चली गई.
- 60 फिट गहरी बावड़ी में लोगों को टार्च की रोशनी में ढूंढा जा रहा था.अगर वहां बनी कच्ची और टिन की छत को हटा देते तो काफी रोशनी हो जाती और क्रेन से बचाव कर्मियों को नीचे उतारा जा सकता था.इससे लोगों को बाबड़ी की गैस में घुटन भी नहीं होती.
- अगर सबसे पहले सर्च लाइट, गोताखोर और ऑक्सीजन के सिलेंडर लगाए गए होते कई लोगों की जान बच जाती.
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