Jabalpur News: एक अच्छा समाज जबलपुर के मोहम्मद खान जैसे नेक दिल इंसानों से ही गढ़ा जाता है. पुलिस में सिपाही मोहम्मद खान ने अपना पड़ोस धर्म इतनी शिद्दत से निभाया की आज हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. मोहम्मद खान ने जबलपुर के एक निजी अस्पताल में बिल के लिए बंधक अपनी पड़ोसी महिला के शव को छुड़वाने में प्रशासनिक मदद तो दिलवाई ही, साथ में अपने पास से 10 हजार रुपये भी चुकाए. जबलपुर की केयर बाय कलेक्टर हेल्पलाइन ने भी इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
केयर बाय कलेक्टर से मदद
कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा आम नागरिकों की समस्याओं के जल्द समाधान के लिये प्रारंभ किये गये केयर बाय कलेक्टर व्हाट्सअप नम्बर के माध्यम से बिल की बकाया राशि चुकाने पर निजी अस्पताल द्वारा बंधक बनाये गये मरीज के शव को परिजनों को वापस दिलाया गया. केयर बाय कलेक्टर पर आये संदेश से अस्पताल प्रबंधन को बिल की बकाया राशि का बड़ा हिस्सा माफ भी करना पड़ा.
प्रकरण के बारे में मिली जानकारी के अनुसार धनी की कुटिया न्यू रामनगर आधारताल निवासी 50 वर्षीय महिला दुर्गेश चौहान को सांस लेने में हो रही कठिनाई की वजह से राइट टाउन स्टेडियम के समीप स्थित महाकौशल अस्पताल में 11 दिसम्बर को इलाज के लिये भर्ती कराया गया था. मरीज की मंगलवार को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी.
अस्पताल पैसे मांग रहा था
अस्पताल प्रबंधन मरीज के शव को बिल का बकाया 47 हजार रूपये चुकाये बिना परिजनों को सौंपने को तैयार नहीं था. जबकि मरीज के परिवार में दो बेटियों के अलावा कोई नहीं है और परिवार की स्थिति भी बकाया चुकाने की नहीं थी. ऐसे में पड़ोसी पुलिस आरक्षक मोहम्मद खान ने मृतक के परिवार के हालात का जिक्र करते हुये केयर बाय कलेक्टर के व्हाट्सअप नम्बर 75879 70500 पर मैसेज कर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से मदद का आग्रह किया.
कलेक्टर शर्मा ने इस मैसेज पर तुरंत संज्ञान लेकर निजी अस्पतालों पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. विभोर हजारी को इस मामले का समाधान करने के निर्देश दिये. डॉ. विभोर हजारी और डॉ. प्रियंक दुबे ने तत्काल महाकौशल अस्पताल पहुंचकर प्रबंधक से बात की और बकाया बिल की राशि माफ करने के लिए समझाया और बिल कम करने के लिए दबाव भी बनाया गया.
आखिरकार अस्पताल प्रबंधन ने बकाया 47 हजार रूपये के बिल से 37 हजार रूपये कम किया. शेष दस हजार रूपये की राशि मृतक के पडोसी आरक्षक मोहम्मद खान द्वारा अस्पताल में जमा कराई गई. आरक्षक मोहम्मद खान और केयर बाय कलेक्टर हेल्पलाइन की इस मानवीय पहल के लिए जमकर तारीफ हो रही है.
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