Morena News: दलित व्यक्ति की मौत के बाद श्मशान न होने से अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था. बीते 40 सालों से लोग अपनी निजी खेती की जमीन, घरों के बाहर और खलिहानों में अंतिम संस्कार करते चले आ रहे थे. ग्रामीणों के साथ-साथ समाज सेवियों को जब पता चला तो गांव में लोग एकत्रित हो गये. प्रशासन-पुलिस और ग्रामीण विकास विभाग पर शासकीय श्मशान के लिये भूमि चयन करने का भी दबाव बनाया गया. यहां गांव के ही एक व्यक्ति ने एक विस्वा जमीन श्मशान के लिये दान की. तब जाकर 60 वर्षीय गुलजारी लाल सखबार का अंतिम संस्कार किया गया.  


खुद की जमीन नहीं होने से शव रखा रहा रात भर घर के बाहर


मामला मुरैना की पोरसा जनपद पंचायत के तहत ग्राम पंचायत खेरली का है. साडूपुरा मजरा में दलित समुदाय के 60 घरों की आबादी है. इस बस्ती से ग्राम पंचायत के खेरली सहित दो गांवों में निर्मित श्मशान दो-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. आज तड़के सुबह बीमारी के कारण गुलजारीलाल सखबार की मृत्यु हो गई. खुद की जमीन न होने के कारण शव रात से ही घर के बाहर रखा रहा.


7 वर्षों में श्मशान निर्माण के लिये कोई प्रयास नहीं किया गया


अब राजस्व अधिकारी कह रहे हैं कि ग्रामीण की तरफ से दान की गई भूमि पर अंतिम संस्कार कराया गया है. ग्राम पंचायत की महिला सरपंच के पति शासकीय भूमि न होने का रोना रोते रहे. गांववालों का कहना है कि बीते 7 वर्षों में श्मशान निर्माण के लिये कोई प्रयास नहीं किया गया. 


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