Motivational Story: झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों का जीवन संवार रहा है एक पुलिसकर्मी, जानिए क्यों शुरू किया यह काम
Indore News : सन्तू बाई ने बताया कि गरीबी कि वजह से हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे थे. लेकिन जबसे पुलिसवाले सर ने बच्चों को यहां आकर पढ़ाना शुरू किया है, तब से बच्चे पढ़ रहे हैं.
MP News: अपराध को खत्म करने के लिए जहां एक तरफ इंदौर पुलिस 'ऑपरेशन प्रहार' चला रही है, वही एक पुलिस वाला ऐसा भी है, जो गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने के लिए एक पहल 'ऑपरेशन स्माइल' चला रहा है. 'ऑपरेशन स्माइल' के तहत पुलिस वाले साब का एक ही उद्देश्य है कि ऐसे बच्चे जिनका परिवार या तो बहुत गरीब है या अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे सकते, उनके बच्चों को शिक्षा दे कर उनका जीवन सवारने में लगे हैं. इसे कहते हैं जब वर्दी फर्ज निभाती है तो देश को गर्व होता है.
क्या है ऑपरेशन स्माइल
इंदौर में 2016 से संजय सांवरे नाम का पुलिसकर्मी ऑपरेशन स्माइल के तहत झुग्गी बस्ती के बच्चों को पढा रहा है. इसके लिए वह अपनी ड्यूटी के बाद अलग से समय निकालते हैं. वो बच्चों को निशुल्क पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों की पढाई के लिए कॉपी-किताब भी खुद मुहैया कराते हैं. इसका असर अब दिखने लगा है. आज उनकी क्लास में पढ़ने वाले लगभग सभी बच्चों ने कमाल कर दिया है. इनमें से अधिकतर बच्चें ए ग्रेड से पास हुए हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्दी वाले संजय ने गिनती के बच्चों के साथ क्लास शुरू की थी, लेकिन आज उनसे पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 50 से ज्यादा हो गई है.
बच्चों का कहना है कि वो पहले खाकि वर्दी को देखकर डर जाते थे. लेकिन पुलिस वाले सर के साथ रहकर सभी बच्चों के दिमाग से पुलिस का डर जाता रहा, आज वो पुलिसवाले सर कि तरह पढ़ाई कर अपना जीवन संवारना चाहते हैं. कोई बच्चा बड़ा होकर इंजिनियर बनना चाहता है, तो कोई पुलिस बन कर देश और जनसेवा करना चाहता है.
क्या कहते हैं परिजन
वहीं पालक सन्तू बाई का कहना है कि गरीबी कि वजह से ऐसे हालत थे कि हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे थे. लेकिन जब से पुलिसवाले सर ने बच्चों को यहां आकर पढ़ाना शुरू किया है, तब से बच्चों में भी पढ़ाई के प्रति उत्सुकता बढ़ गई है. बच्चों में अब काफी बदलाव आए हैं. वो पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहते हैं.
वहीं पुलिस आरक्षक संजय सांवरे ने बताया कि अपराधों में अधिकतर कम पढ़े-लिखे लोग और नशे से जुड़े लोग शामिल होते हैं. इंदौर में भी लालबाग क्षेत्र के निवासी बच्चे व्हाइटनर का नशा करने के आदि हो रहे थे, इन्हीं सबको देखते हुए ऐसे बच्चों का भविष्य सुधारने का बीड़ा 2016 से उठाया है. उन्होंने बताया कि 2016 से इंदौर में 4 बच्चों से शुरू किया कारवां आज 52 बच्चों तक पहुंच चुका है. ओर इस काम के लिए समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारी भी मार्गदर्शन करते रहते हैं.
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