Ujjain News: आखिरकार साधु संतों का शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर चलाया गया आंदोलन कारगर साबित हो रहा है. शिवराज सरकार शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर गंभीर दिखाई दे रही है. जल संसाधन मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री ने 3 योजनाओं पर काम करने के निर्देश जारी कर दिए हैं. इसके बाद इंदौर की 13 फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित जल को भी शिप्रा नदी में मिलने से रोक दिया गया है. 


जल संसाधन मंत्री ने साधु-संतों से की मुलाकात
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने साधु-सन्तों से मुलाकात की. उन्हें आश्वस्त किया कि खान नदी का जो गन्दा पानी शिप्रा नदी में जाकर मिल रहा है. उसके लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गंभीर हैं. श्री सिलावट ने बताया कि इन्दौर में 13 ऐसी फैक्टरियों को बन्द किया गया है, जिनका गन्दा पानी खान नदी में जाता था. उन फैक्टरी मालिकों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी. उज्जैन, देवास एवं इन्दौर के लिये विशेष कार्य योजना बनाई जायेगी. इस दिशा में तीव्र गति से कार्य किया जायेगा. श्री सिलावट ने कहा कि खान नदी के गन्दे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिये स्थाई हल निकाला जायेगा. उन्होंने कहा कि सभी साधु-सन्त जो भी समस्या है उससे डॉ.मोहन यादव को अवगत करायें.


आचमन योग्य रहे शिप्रा नदी का पानी
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने साधु-सन्तों को अवगत कराया कि आज मंत्री श्री सिलावट, सांसद अनिल फिरोजिया एवं कलेक्टर के साथ उन्होंने खान नदी के गन्दे पानी का अवलोकन किया है. उन्होंने कहा कि पूरा प्रयास किया जायेगा कि शिप्रा नदी का पानी नहाने एवं आचमन के योग्य रहे. सर्वसंत समाज के महन्त रामेश्वरदास ने कहा कि संत समाज का मुख्य उद्देश्य है कि शिप्रा का पानी स्वच्छ रहे और आचमन के योग्य रहे. शिप्रा नदी का धार्मिक महत्व है. बारह वर्ष में एक बार यहां सिंहस्थ का मेला लगता है. उन्होंने वाटर ट्रिटमेंट का पानी भी शिप्रा में न मिलाने का अनुरोध किया. अन्य संत समाजजनों ने मंत्रीगण से अनुरोध किया कि शनि मन्दिर से लेकर कालियादेह तक 13 किलो मीटर तक लम्बी नदी का तकनीकी अध्ययन करें और शिप्रा शुद्धिकरण का स्थाई हल करे.


100 करोड़ की योजना की होगी जांच
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि सिंहस्थ महापर्व के बाद खान नदी का जल डायवर्शन करने के लिए 100 करोड़ की योजना बनाई गई थी. इसके तहत पाइप लाइन भी डाली गई है लेकिन इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है, इसलिए 100 करोड़ की डायवर्सन वाली योजना की जांच होगी.


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