MP News: सावधानी हटने से पिछले 12 महीनों के दौरान जबलपुर रेलवे ज़ोन में 351 से अधिक यात्री दुर्घटना का शिकार होकर जान गंवा चुके हैं. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये अब रेल प्रशासन सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है. माना जाता है कि यातायात का सबसे सुगम साधन ट्रेन है. रेलवे का पूरे देश में नेटवर्क शानदार है. ट्रेन के जरिये लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवागमन करते हैं. हकीकत है कि सफर के दौरान लोग हादसों का भी शिकार होते हैं. प्लेटफार्म पर शोर शराबे के बीच एक मधुर आवाज सुनाई देती है. आवाज के माध्यम से मंगलमय यात्रा की कामना की जाती है और लोगों को सावधान रहने की सलाह भी दी जाती है.
जबलपुर रेलवे जोन में 351 यात्रियों की मौत
चेतावनी को नजर अंदाज करने का नतीजा है कि 12 माह में जबलपुर-भोपाल और कोटा रेल मंडल में 351 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. कोई चलती ट्रेन से उतरा था तो किसी की जिंदगी पर पायदान की यात्रा भारी पड़ गई. कई बार मुसाफिर भीड़ के कारण ट्रेन के पायदान पर बैठकर यात्रा करते हैं और नींद का झोंका आने पर चलती ट्रेन से नीचे गिर जाते हैं. बिना टिकट यात्री भी अक्सर पकड़े जाने के डर से गेट पर यात्रा करते हैं और टीसी स्टाफ के आने पर चलती ट्रेन से उतरते हैं.
रेलवे स्टेशन पर जल्दबाजी में ट्रेन पकड़ने के लिए भी लोग नीचे गिर जाते हैं और असमय मौत का शिकार हो जाते हैं. मोबाइल पर बातचीत करते हुये पटरी पार करने वाले भी ट्रेन की चपेट में आकर मौत के मुंह में समा जाते हैं. पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर, भोपाल और कोटा मंडल में रोजाना सैकड़ों ट्रेनों का आवागमन होता है. ट्रेन से लाखों की संख्या में मुसाफिर गंतव्य तक पहुंचते हैं. जबलपुर ज़ोन कई हजार किलोमीटर में फैला हुआ है. जोन के अंतर्गत सैकड़ों रेलवे स्टेशन हैं और रोजाना मुसाफिर इधर से उधर जाते हैं.
घटनाओं को रोकने के लिए उठाया ये कदम
यात्रा के दौरान कुछ मुसाफिर कदम-कदम पर सावधानी रखते हैं तो कुछ लापरवाही बरतते हैं. उनकी यही लापरवाही मौत का सबब बन जाती है. दुर्घटना के बाद मिलनेवाला मुआवजा परिजनों के थोड़े बहुत आंसू ही पोछ पाता है. उनके जीवन भर का जख्म भरने में मुआवजा नाकाफी होता है. सीपीआरओ राहुल श्रीवास्तव के मुताबिक अब रेलवे स्टेशनों पर नुक्कड़ नाटक से लेकर सोशल मीडिया का सहारा लिया जाएगा. यात्रा के प्रति सतर्क रहने और जान जोखिम में न डालने के लिए यात्रियों को जागरूक किया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक जबलपुर, भोपाल और कोटा रेल मंडल बीते 12 माह में हुए हादसों के लिए अब तक 17 करोड़ से अधिक की रकम बतौर मुआवजा दे चुका है. मुआवजा राशि क्लैम ट्रिब्यूनल के माध्यम से प्रदान की गयी. ट्रेन हादसे में मृतकों के परिजनों ने मुआवजा का दावा किया था. बता दें कि हादसा होने पर रेलवे 4 लाख से लेकर 8 लाख के बीच मुआवजा देता है. पीड़ित पक्ष को रेलवे क्लैम ट्रिब्यूनल में आवेदन देना पड़ता है. ट्रिब्यूनल से संबंधित टीम जांच पड़ताल करने के बाद मुआवजा की राशि स्वीकृत करती है. ट्रेन हादसे में हाथ-पैर कटने पर भी क्षति के हिसाब से राशि प्रदान करने का नियम है.