Tiger Reserve in MP: मध्य प्रदेश की पहचान पूरे देश में टाइगर स्टेट के रूप में होती है, क्योंकि पूरे देश के अंदर सबसे अधिक बाघों की संख्या केवल यहीं पाई जाती है. मध्य प्रदेश का वन क्षेत्र हमेशा से टाइगरों की पहली पसंद रहा है. मध्य प्रदेश के अंदर वर्तमान में 6 टाइगर रिजर्व हैं. इनमें कान्हा किसली और बांधवगढ़ (Bandhavgarh National Park) राष्ट्रीय स्तर की पहचान वाले टाइगर रिजर्व हैं.
अब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने एक बार फिर से केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की मंजूरी के बाद मध्य प्रदेश के नौरादेही और वीरांगना दुर्गावती अभयारण्य (Rani Durgavati Wildlife Sanctuary) को मिलाकर मध्य प्रदेश में सातवें टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी प्रदान कर दी है. जानकारी के अनुसार, विश्व टाइगर दिवस तक यह टाइगर रिजर्व अपने पूर्ण रूप में होगा. मध्य प्रदेश के दमोह सागर जिले के बीच लगभग 2339 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के लिए आरक्षित किया जा रहा है. इसका क्षेत्रफल भी बड़ा रखा गया है ताकि अधिक से अधिक टाइगरों को यहां संरक्षित किया जा सके.
मध्य प्रदेश में छह टाइगर रिजर्व
भारत के अंदर लगभग 53 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें अकेले मध्य प्रदेश के अंदर ही अभी तक 6 टाइगर रिजर्व हैं. पूरे देश के अंदर पाए जाने वाले 3167 बाघों में से 700 से अधिक बाघ केवल मध्य प्रदेश में ही हैं, इसीलिए मध्य प्रदेश को देश के अंदर बाघ संरक्षण का केंद्र भी माना जाता है. मध्य प्रदेश में भोपाल रीजन हमेशा से बाघों की पहली पसंद रहा है. साथ ही साथ रीवा और जबलपुर के वन क्षेत्र भी बाघों को हमेशा आकर्षित करते हैं. इसी के चलते मध्य प्रदेश में टाइगर प्रोजेक्ट को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है.
वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे से पहले होगी शुरुआत फिर नोटिफिकेशन कभी भी हो सकता है. नौरादेही, रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर प्रस्तावित नए टाइगर रिजर्व का नाम क्या होगा फिलहाल ये तय नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड की स्वीकृति के बाद इसे प्रदेश के 7वें टाइगर रिजर्व के रूप में देश में नई पहचान मिलेगी. केंद्र की स्वीकृति के बाद अब अगले पखवाड़े तक प्रदेश शासन से अधिकृत घोषणा की जा सकती है. अभी पन्ना, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, संजय दुबरी सीधी में टाइगर रिजर्व है.