Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के राघोगढ़ विकासखण्ड के अंतर्गत जामनेर स्वास्थ्य केंद्र के झूमर गांव में एक प्रसूता आदिवासी महिला को प्रसव पीड़ा होने पर फोन करके 108 एंबुलेंस बुलाई गई थी. दो किमी का कच्चा रास्ता कीचड़ में तब्दील होने की वजह से एम्बुलेंस नही पहुंच सकी. दर्द से कराह रही प्रसूता सुनीता बाई भील ने बीती रात 2.30 बजे कीचड़ में तब्दील सड़क पर टार्च की रोशनी में नवजात को जन्म दिया. हालांकि, कुछ देर में एंबुलेंस भी पहुंच चुकी थी जो पक्के रास्ते गजपुरा पर खड़ी हुई थी. प्रसव के बाद भी प्रसूता एक किमी तक पैदल चलकर पति और जेठानी के साथ गजपुरा पहुंची. 


बारिश के कारण रास्ते में कीचड़
यहां से महिला को एम्बुलेंस से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जामनेर लाया गया. रात 3.30 बजे डाक्टर ने इलाज शुरू किया. बता दें कि जनपद पंचायत राघौगढ़ के अंतर्गत ग्राम झूमर में पक्की सड़क न होने की वजह से एक आदिवासी महिला की डिलेवरी कच्ची सड़क पर ही करनी पड़ी. प्रसूता सुनीता बाई के पति चतर सिंह भील ने बताया कि रात 11 बजे पत्नी को तेज प्रसव पीड़ा हुई. बीती रात 11.30 बजे जब वह घर से पैदल ही प्रसूता पत्नी और भाभी के साथ निकले तो उससे पहले गांव में बारिश हो चुकी थी. जिसकी वजह से झूमर से गजपुरा की ओर जाने वाला रास्ता कच्चा होने की वजह से कीचड़ में तब्दील हो चुका था. दर्द से कराहती उनकी पत्नी पैदल चलते वक्त चीखकर कह रही थी कि आज अस्पताल नहीं पहुंच पाएंगे. 


पक्की सड़क न होने पर ग्रमीणों में आक्रोश
जब प्रसव की पीड़ा अधिक बढ़ गई तो इस दौरान 2.30 बजे प्रसूता ने दलदल युक्त सड़क पर ही बेटे को जन्म दिया. गजपुरा के पक्के रास्ते पर पहुंचने में प्रसव के बाद आधा घंटे का समय लगा. प्रसूता के पति चतर सिंह भील ने बताया कि झूमर गांव की आबादी करीब 800 की है. यहां पर कच्चे और पक्के करीब 200 से अधिक मकान बने हुए हैं. उन्हें प्रसूता सुनीता बाई को कच्चे रास्ते से होकर दो किमी का सफर साढ़े तीन घंटे में तय किया. वहीं गजपुरा से एंबुलेंस से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सफर आधे घंटे में तय किया. जबकि गजपुरा से सरकारी अस्पताल की दूरी साढ़े सात किमी है. ग्रामीणों में इस बात का आक्रोश है कि उनके ग्राम में पक्की सड़क न होने की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.


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