MP Assembly News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) विधानसभा के सचिव शिशिरकांत चौबे को 65 साल उम्र होने के बावजजूद संविदा नियुक्ति दे दी गई. कुछ इसी तरह अंडर सेक्रेटरी पद से रिटायर हुए रमेश चंद रुपाला के मामले में भी किया गया. उन्हें पहले तो दो साल की सेवा विस्तार दिया और बाद में संविदा नियुक्ति दे दी गई. इस मामले की शिकायत राज्यपाल को सौंपी गई है.
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने क्या कहा
हालांकि इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि. संविदा नियुक्ति में कहीं किसी प्रकार का नियमों का उल्लघन नहीं किया गया है. गिरीश गौतम ने कहा कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी सचिव 70 साल के हैं, तो मध्य प्रदेश में क्यों नहीं हो सकते. शिकायत होने पर उन्होंने कहा कि शिकायत करने वालों का क्या है, वो तो करते रहते हैं. दरअसल, विधानसभा के सचिव शिशिरकांत चौबे न्यायिक सेवा से सेवानिवृत हैं.
2020 में दी गई दोबारा संविदा नियुक्ति
उनकी जब विधानसभा में नियुक्ति हुई तो उसमें वित्त विभाग की स्वीकृति नहीं थी. इसके चलते उस समय की कांग्रेस सरकार में उन्हें हटा दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें फिर संविदा पर दूबारा नियुक्त कर दिया गया. 2018 में शिशिरकांत चौबे को सचिव के पद पर संविदा नियुक्ति दी गई थी, लेकिन वित्त विभाग ने उनकी नियुक्ति पर असहमति जताई.
इसके बाद 2018 में उनकी संविदा पर नियुक्ति को समाप्त कर दिया गया, लेकिन 2020 में उन्हें दोबारा संविदा नियुक्ति दे दी गई. इतना ही नहीं इस बारे में वित्त विभाग से सहमती भी नहीं ली गई. गौरतलब है कि राज्य के विधि- विधायी विभाग के 22 मार्च 2018 को जारी नोटिफिकेशन में रिटायर हुए न्यायाधीशों की संविदा नियुक्ति के नियम बताए गए हैंं. इस नियम के मुताबिक रिटायर हुए न्यायाधिशों को संविदा नियुक्ति 65 साल की उम्र तक ही दी जा सकती है.