MP Politics: साल 2013 में अपना पहला चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) नौ साल के भीतर ही राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है. वहीं AAP संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवल की अगुवाई वाली  पार्टी अब मध्य प्रदेश में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कोशिशों में हैं. दावा है कि आम आदमी पार्टी इस साल होने जा रहे मध्य प्रदेश के चुनाव में ताल ठोकने जा रही है. ये फैसला राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने राज्य इकाईयों की बैठक के बाद लिया है.


अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स से AAP के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी को चुनाव लड़ने से पहले पार्टी को अपने कैडर की ताकत, जिस राज्य में चुनाव लड़ना चाह रहे हैं वहां के आंतरिक सर्वे और अपनी वित्तीय हालात को देखना होगा. उन्होंने कहा एक पार्टी जो अभी एक संगठन बनाने की कोशिश कर रही है,उसके लिए सभी राज्यों के चुनावों में लड़ना संभव नहीं है. 


AAP ने नगरपालिका चुनावों में किया था अच्छा प्रदर्शन
वहीं अगर बात मध्य प्रदेश की करें तो पार्टी ने इस राज्य में पिछले साल हुए नगरपालिका चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया.यहां पार्टी का एक महापौर है. पिछले साल AAP ने बीजेपी की कब्जे वाली सिंगरौली नगर निगम सीट पर जीत दर्ज की थी. यहां AAP की रानी अग्रवाल ने बीजेपी चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को हाराया था. Wms आम आदमी पार्टी को लग रहा है कि बीजेपी शासित राज्य में उसके लिए चुनावी पिच को थोड़ा अनुकूल है. 


AAP पदाधिकारी ने कहा कि वास्तव में फैसला मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच करना है. हालांकि पंजाब और दिल्ली की निकटता के चलते पार्टी का अगला लक्ष्य राजस्थान होना चाहिए,लेकिन मध्य प्रदेश में भी हमारा संगठन मजबूत है. 


इस साल इन राज्यों में होने हैं चुनाव
मध्य प्रदेश के अलावा पार्टी ने हरियाणा पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है,यहां अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं पार्टी अब प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में AAP पदाधिकारियों की टीमों को नियुक्त करेगी.


दीगर है कि मध्य प्रदेश में मौजूदा राजनीति भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के इर्द गिर्द ही घूमती है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी तो मारी थी और कमलनाथ, सीएम भी बने लेकिन साल 2020 के मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में बीजेपी को फिर से मौका मिला. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में आम आदमी पार्टी के ताल ठोकने से बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.