MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में इन दिनों राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की स्थिति रूठे-रूठे पिया की तरह है. उन्हें मनाने के लिए पार्टियों को जमकर पसीना आ रहा है. प्रदेश में छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दल आम वोटरों के साथ-साथ अपने दल के अंतिम सिपाही यानी कार्यकर्ता को भी साधने में जुटे हुए हैं. बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को खुश करने और उत्साहित करने के लिए राजनीतिक दलों के आला नेता मैदान में उतर चुके हैं. उन्हें सरकार बनने और तरह-तरह के लाभ के प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं.


दरअसल, मध्य प्रदेश की राजनीति में सरकार बनने पर अब तक पार्टी के बड़े नेताओं को ही तवज्जो मिलती रही है. इससे उसका कैडर बेहद नाराज रहता है. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के अंतिम सिपाही पर भी दांव खेला जा रहा है. बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों ने ही अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम शुरू कर दिया है.


कांग्रेस चली बीजेपी के रास्ते


सबसे पहले बात करें कांग्रेस पार्टी तो वह पिछले 70 सालों से मास पॉलिटिक्स करती आई है. यानी कि जिस नेता के पीछे भीड़ तंत्र है, वह नेता है लेकिन अब कांग्रेस ने अपनी कार्यशैली में बड़ा बदलाव किया है. कांग्रेस भी बीजेपी की तरह कैडर सिस्टम को अपना रही है. यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हर विधानसभा सीट पर जाकर ब्लॉक अध्यक्षों के साथ बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की बैठक में ले रहे हैं. कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया का कहना है कि कांग्रेस ने 2018 के पहले कैडर सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया था, जो अब नजर आने लगा है. आज के समय कांग्रेस के पास कैडर भी है और लीडर भी है.


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बालाघाट जिले के प्रभारी आलोक मिश्रा का कहना है कि इस बार सरकार बनने पर कार्यकर्ता बिल्कुल भी उपेक्षित महसूस नहीं करेगा. हमारे नेता कमलनाथ में साफ कहा है कि कार्यकर्ताओं की पहुंच सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक होगी. बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं के परिचय पत्र तक बनाए जा रहे हैं ताकि सरकार बनने पर उन्हें सीधे मुख्यमंत्री दफ्तर तक एंट्री मिल सके.


बीजेपी का कैडर भी है नाराज


इधर, बीजेपी ने हमेशा से जमीनी कार्यकर्ता को बढ़ाने का काम किया है. यही वजह है कि बीजेपी चुनाव के देखते हुए कांग्रेस के बूथ लेवल मैनेजमेंट को अपनी पार्टी की नकल बता रही है. सांसद राकेश सिंह का कहना है नकल करने के लिए भी अक्ल लगाने की जरूरत होती है. कांग्रेस लाख कोशिश कर ले लेकिन बीजेपी जैसा समर्पित कार्यकर्ता कहां से लाएगी.


इस तरह तैयार होता है बीजेपी का कार्यकर्ता


यहां बता दें कि भारतीय जनता पार्टी लगातार अपने बूथ एवं मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं को चार्ज रखने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाती रहती है. एक ऐप के माध्यम से बीजेपी ने अपने निचले लेवल तक के कैडर की मॉनिटरिंग का सिस्टम बना रखा है. हालांकि,कहा जा रहा है इस बार अनुशासित रहने वाला बीजेपी का कैडर सरकार के कामकाज से बेहद नाराज है. चर्चा तो यह भी है कि जल्द ही पार्टी कैडर को कुछ लाभ पहुंचाने का सिस्टम भारतीय जनता पार्टी बनाने जा रही है.


कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में अब झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता की पूछ-परख बढ़ गई है. जो पार्टी कार्यकर्ता को साध लेगी, उसके लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाएगा. यह सर्वविदित है कि आम जनता को पोलिंग बूथ तक लाने का असल काम तो यही कार्यकर्ता करता है.


ये भी पढ़ें:- MP: बंद कमरे में देखे जाएंगे हनी ट्रैप से जुड़े वीडियो, SIT ने कहा- 'CD में अंतरंग सीन...'