MP Elections 2023: अपनी योजनाओं की ब्रांडिंग भूल कांग्रेस की प्लानिंग में उलझी बीजेपी, अंदरूनी कलह से भी बैकफुट पर
MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश में बीजेपी चुनाव से पहले एक के बाद एक योजनाएं लेकर आ रही है और इसके जवाब में कांग्रेस भी उससे मिलती जुलती योजनाओं की घोषणा कर रही है.
MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चुनावी साल में दोनों ही प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) सत्ता का सुख पाने के लिए एड़ी चोंटी का जोर लगा रही है. एक-दूसरे को शिकस्त देने के लिए शतरंज की तरह चाल भी चल रहे हैं. वहीं, इस शह और मात के खेल में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की चालों में सत्ताधारी दल बीजेपी पूरी तरह से उलझती हुई नजर आ रही है.
बता दें मध्य प्रदेश की सत्ता में बीते 18 सालों में से बीजेपी की सरकार है. इस दौरान बीजेपी सरकार द्वारा अनेक जनहितैषी योजनाएं लॉन्च की गई हैं तो वहीं अभी हाल ही में मुख्यमंत्री हवाई तीर्थ दर्शन योजना और लाडली बहना योजना ने भी बीजेपी की सरकार का ग्राफ काफी ऊंचा उठाया दिया था. आलम यह था कि बीजेपी सरकार की लाडली बहना योजना के एवज में कांग्रेस को भी नारी सम्मान योजना की घोषणा करना पड़ी. बीते महीने तक बीजेपी सरकार और कार्यकर्ता इन योजनाओं का जमकर प्रचार-प्रसार कर रहे थे, लेकिन बीते कुछ दिनों से बीजेपी इन योजनाओं की ब्राडिंग भूल कांग्रेस के आरोप-प्रत्यारोपों में उलझकर रह गई है.
अंदरूनी विवादों से परेशान बीजेपी
बता दें सत्ताधारी दल मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की प्लानिंग में तो उलझा ही सही है, इसके साथ बीजेपी अंदरुनी कलह की वजह से भी खासी परेशान हैं. ताजा मामला बुंदेलखंड का है, जहां बीजेपी सरकार के तीन मंत्रियों के आपसी मुनमुटाव ने जमकर सुर्खियां बटोरी थीं. मंत्री गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत ने कुछ विधायकों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मंत्री भूपेंद्र सिंह की शिकायत तक कर दी थी.
इतना हीं नहीं नाराज मंत्रियों ने यहां तक धमकी दे दी थी कि सब कुछ ठीक नहीं रहा तो वे सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे. यह मामला जैसे तैसे थमा ही था कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के पुत्र आकाश राजपूत द्वारा डाली गई एक पोस्ट ने मामले को फिर से तूल दे दिया. हालांकि बाद में इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया था.
सांसदों की भी आपसी खींचतान
बीजेपी सरकार के मंत्रियों में जहां मनमुटाव उभरकर बाहर आ रहा है तो वहीं बीजेपी के सांसदों की भी आपस में नहीं बन रही है. मामला गुना क्षेत्र का है, जहां सांसद केपी यादव और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का मनमुटाव आए दिन बाहर निकलकर आ रहा है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी अपने आपसी विवाद से बाहर आए तभी कही जाकर सरकार की योजनाओं की ब्राडिंग हो सकेगी.
वीडी भी विवादों से परेशान
इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी विवादों में उलझकर रह गए हैं. बीते दिनों प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का सोशल मीडिया पर जमकर सियासी विवाद हुआ था तो वहीं अब प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चा ने प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त को परेशानी में डाल रखा है. एक दिन पहले ही सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के प्रदेश अध्यक्ष बनने की पोस्टों ने बीजेपी में जमकर खलबची बचाई थी.
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