MP Election 2023: मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में, भड़क गए कमलनाथ
ज्योतिरादित्य सिंधिया की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की हर उस रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं जिसके जरिए कांग्रेस ने सत्ता हासिल की है.
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की मदद के बिना सरकार बनाना किसी के बूते की बात नहीं है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि मध्य प्रदेश की सियासत (MP Politics) इस बात की गवाह है. जब सिंधिया ने हाथ फैला कर कांग्रेस (Congress) के लिए वोट मांगे, तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई और जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से मुंह मोड़ा तो फिर बीजेपी (BJP) सत्ता में आ गई. इस बार फिर सत्ता की चाबी सिंधिया के हाथ में दिखाई दे रही है. यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सिंधिया का नाम आते ही भड़क जाते हैं.
बड़ा उलटफेर करने की स्थिति में सिंधिया
टीकमगढ़ में जनसभा को संबोधित करने के लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ज्योतिरादित्य सिंधिया के सवाल पर भड़क गए. जब मीडिया ने उनसे पूछा कि इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके साथ नहीं है तो फिर कांग्रेस किस स्थिति में है? इस सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि ग्वालियर, मुरैना के महापौर कांग्रेस ने बिना सिंधिया के जीते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से कांग्रेस को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही इस बात को मीडिया के सामने रख रहे हैं, लेकिन बिना ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस की क्या हालत हुई है? इस बात को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कई बार मंथन भी कर चुके हैं. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे बढ़कर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए वोट मांगे तो पिछले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस के ऐतिहासिक सीटें आई और एमपी में कांग्रेस की सरकार बन गई. इसके बाद जब टकराव शुरू हुआ तो सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान की सरकार मध्य प्रदेश में आ गई. इस बार भी ज्योतिरादित्य सिंधिया बड़ा उलटफेर करने की स्थिति में है.
इसलिए भड़क जाते हैं कांग्रेस के नेता
दो दशक तक कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की हर रणनीति से अच्छी तरह वाकिफ है. ज्योतिरादित्य सिंधिया का जनता के बीच अच्छा प्रभाव भी है. इसके अलावा उनके खुद के समर्थक विधायकों की कमी नहीं है. सिंधिया के एक इशारे पर मध्य प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा विधायक अपनी कुर्सी छोड़ चुके हैं. ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की हर उस रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं जिसके जरिए कांग्रेस ने सत्ता हासिल की है. इसी वजह से कांग्रेस नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर हमेशा भड़क जाते हैं.
सिंधिया के फीडबैक के बाद बैकफुट पर दिग्विजय
राजनीति के जानकार बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाईकमान को स्पष्ट रूप से बता दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सक्रियता कम होने से कांग्रेस को फायदा मिलने वाला है इसी के चलते पिछले विधानसभा चुनाव में ज्योतिराज सिंधिया ने पूरी कमान संभाली और कमलनाथ के साथ मिलकर सरकार बना ली. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) थोड़े कम ही सक्रिय दिखाई दिए. बताया जाता है कि कांग्रेस में रहते हुए भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की कभी बनी भी नहीं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पूरी ताकत से सरकार बनाने में जुटे हैं. हालांकि पूरी कांग्रेस के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ही सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं.
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