MP Election 2023: भारी गहमा-गहमी के बीच बीजेपी विधायक सुरेंद्र पटवा का नामांकन पत्र स्वीकार, जानें आपत्ति की वजह
MP Elections 2023: सुबह कार्यालय में एंट्री के दौरान वकीलों और पुलिस के बीच छुटपुट बहस सामने आई. फिर दोनों पक्षों के तथ्यों को सुनने के बाद करीब 2 घंटे की चली बहस के बाद नतीजा सुनाया गया.
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में भोजपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी वर्तमान विधायक सुरेंद्र पटवा की बढ़ी हुई मुश्किलें 24 घंटे बाद आखिरकार राहत भरी खबर के बाद खत्म हो गई. मंगलवार (31 अक्टूबर) को नामांकन फार्म की स्कूटनी के दौरान बीजेपी के बागी निर्दलीय प्रत्याशी गणेश मालवीय एवं कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल के वकीलों ने 19 आपत्ति दर्ज कराई थी.
जिसके बाद नाम निर्देशन के संबंध मे रिटर्निंग ऑफिसर भोजपुर ने जिसमें 3 स्वीकार कर पटवा के नामांकन को होल्ड कर आज सुबह 11 बजे तक दिया था. आज सुबह से ही गौहरगंज स्थित तहसील कार्यालय में गहमा गहमा का माहौल था. सुबह कार्यालय में एंट्री के दौरान वकीलों और पुलिस के बीच छुटपुट बहस सामने आई. फिर दोनों पक्षों के तथ्यों को सुनने के बाद करीब 2 घंटे की चली बहस के बाद नतीजा सुनाया गया. रिटर्निंग ऑफिसर भोजपुर चंद्रशेखर श्रीवास्तव ने आपत्ति की जानकारी की पूर्ति करते हुए नामांकन पत्र स्वीकार करते हुए तीनों आपत्ति खारिज कर दी. जिसके बाद पटवा समर्थकों में खुशी के लहर दौड़ गई.
501 प्रकरण दर्ज होने के साक्ष्य प्रस्तुत किये थे
दअरसल निर्वाचन आयोग के प्रोफार्मा में छेड़छाड़ एव आपराधिक प्रकरणों की जानकारी छिपाने सहित गंभीर आरोप लगाते हुए आपत्ति दर्ज कराई गई. सुरेंद्र पटवा ने अपने नामांकन में 167 केसों की जानकारी उल्लेख की जबकि विरोधी पक्ष ने उन पर 501 प्रकरण दर्ज होने के साक्ष्य प्रस्तुत किये थे. इस दौरान भोपाल एवं दिल्ली से आये वकीलों की बहस के बाद रिटर्निंग ऑफिसर भोजपुर ने सुनवाई कर फैसला बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा के पक्ष में सुनाया.
त्रुटि के चलते नामांकन निरस्त हो गया था
यहां बता दे कि वर्तमान बीजेपी विधायक सुरेंद्र पटवा पूर्व शिवराज सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के पुत्र हैं. जिनका मुकाबला कांग्रेस के राजकुमार पटेल से है. राजकुमार पटेल का भी 2009 में लोकसभा चुनाव के समय भी फार्म की त्रुटि के चलते नामांकन निरस्त हो गया था. जिसके बाद सुषमा स्वराज स्वतंत्र रूप से चुनाव जीत गई थी.