MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में इसी साल नवंबर-दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) की बिसात पर कांग्रेस (Congress) एक-एक सीट पर जीत का गणित लगा रही है. राज्य विधानसभा की 230 सीटों में से 66 ऐसी हैं, जो कांग्रेस के लिए लगातार सिरदर्द बनी हुई हैं. यहां से पिछले 5 चुनाव से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है. अब कांग्रेस का दिल्ली और राज्य का नेतृत्व इन सीटों को जीतने के लिए 'प्लान-66' (Plan-66) पर काम कर रहा है. आलाकमान ने इन सीटों को पांच सेक्टर में बांट कर सेंट्रल ऑब्ज़र्वर भी नियुक्त कर दिए हैं. 


मध्य प्रदेश की 66 विधानसभा सीटों ने कांग्रेस को बड़ी टेंशन दे रखी है. पिछले पांच चुनाव में उसे इन सीटों पर लगातार हार का सामना करना पड़ा. अब कांग्रेस के दोनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) और दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने इन सीटों को जीतने के लिए फाइव पॉइंट प्रोग्राम (Five Point Program) तैयार किया हैं. पार्टी का फोकस इन सीटों के उम्मीदवार चुनाव से काफी पहले घोषित करने पर है. इसके लिए चेहरों की तलाश कांग्रेस ने शुरू कर दी है. 


ये वो सीटें हैं, जो दे रहीं टेंशन 


कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय और राज्य का नेतृत्व इसी साल नवंबर-दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने में लग गई है. पहले चरण में पार्टी का फोकस उन 66 सीटों पर है,जहां पिछले पांच चुनाव में उसे लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस को जिन सीटों पर लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है.


इनमें रहली, दतिया, बालाघाट, रीवा, सीधी, नरयावली, भोजपुर, सागर, हरसूद, सोहागपुर, धार, इंदौर दो, इंदौर चार, इंदौर पांच,मंदसौर, महू, गुना, शिवपुरी, देवसर, धौहनी, जयसिंहनगर, जैतपुर, बांधवगढ़, मानपुर, मुड़वारा, जबलपुर कैंट, पनागर, सिहोरा, परसवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, आमला, टिमरनी, सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया, भोजपुर, कुरवाई, शमशाबाद, बैरसिया, गोविंदपुरा, बुधनी, आष्टा, सीहोर, सारंगपुर, सुसनेर, शुजालपुर, देवास, खातेगांव, बागली, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर, धार, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम सिटी, मल्हारगढ़, नीमच और जावद सीट प्रमुख हैं.


5 सेंट्रल ऑब्ज़र्वर नियुक्त किए गए 


कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश की 66 ऐसी सीटों के लिए अन्य राज्यों के नेताओं को सेंट्रल ऑब्जर्वर नियुक्त किया है.उन पर इन सीटों को जिताने की जिम्मेदारी दी गई है. दिल्ली के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा को भोपाल और नर्मदापुरम, उत्तराखंड के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप टम्टा को महाकौशल और विंध्य,हिमाचल प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप राठौर को ग्वालियर-चंबल तथा गुजरात के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया को मालवा और निर्माण का दायित्व सौंपा गया है. 


40 से अधिक सीटों पर पहुंचे कमलनाथ


बताया जाता है कि इन 66 में से 40 से अधिक सीटों पर पिछले तीन महीनों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ दौरा कर चुके हैं.उन्होंने ने जिला पदाधिकारियों, मंडलम और सेक्टर प्रभारियों की बैठक लेकर फीडबैक लिया हैं.पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह भी 5 बार से हारी हुई सीटों में  कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.उनके ऊपर जीतने वाले उम्मीदवार की पहचान का दायित्व भी है. 


उम्मीदवार की पहचान पहले की जाएगी


पार्टी सूत्रों ने बताया कि 'प्लान-66' के लिए कांग्रेस ने एक फाइव पॉइंट प्रोग्राम तय किया है.कांग्रेस पार्टी भाजपा (BJP) का गढ़ बन चुकी 66 सीटों पर क्षेत्र में सक्रिय और लोकप्रिय चेहरों का चयन पहले कर रही है,ताकि चुनाव से पहले उन्हें अपने इलाके में पहुंचने का पर्याप्त समय मिल सके.इन सीटों का पर्यवेक्षक भी उन प्रदेश पदाधिकारियों को बनाया गया है,जो वहां पर्याप्त समय दे सकें.यहां जातीय समीकरणों को भी टटोला गया,जिनके सहारे पार्टी को मजबूत स्थिति में लाया जा सके. 


कांग्रेस का फाइव पॉइंट प्रोग्राम 


1. स्थानीय मुद्दे- पार्टी स्थानीय मुद्दों की पहचान करके उसके मुताबिक अपना घोषणा पत्र तैयार करेगी. 


2. वर्तमान विधायक के खिलाफ नाराजगी- पार्टी स्थानीय स्तर पर बीजेपी विधायक के खिलाफ नाराजगी का मूल्यांकन कर जनता में माहौल तैयार करना. 


3. जातीय समीकरण- पार्टी ये भी देख रही है कि हारी हुई सीटों पर जातीय समीकरण क्या है? इसके हिसाब से उम्मीदवार चयन में प्राथमिकता दी जाएगी. 


4. लोक लुभावन वादों का प्रचार-कांग्रेस पार्टी अपने सवा साल के कार्यकाल की योजनाओं के प्रचार पर फोकस कर रही है.इसके साथ ही कमलनाथ द्वारा घोषित नई योजनाओं जैसे 15 सौ रुपए वाली नारी सम्मान योजना, 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने वाली योजना और 100 यूनिट तक बिजली के बिल माफ करने वाली योजना को भी जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. 


5. जन आंदोलन- पार्टी ने तय किया है कि भ्रष्टाचार,महंगाई और बेरोजगारी सहित तमाम सत्ता विरोधी मुद्दों पर लगातार जन आंदोलन खड़ा करना है.स्थानीय संगठन की भागीदारी के साथ राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के नेता भी इसमें शामिल होंगे.


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