MP Assembly Election 2023: चुनावी साल में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वोटों के बिखराव ने कांग्रेस को टेंशन में ला दिया है. कांग्रेस पिछले 19 वर्षों से मध्य प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी को हटाना चाहती है. मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वोटों पर कांग्रेस का एकाधिकार माना जाता है. इस बार के चुनाव में एससी-एसटी वोटों का बिखराव कांग्रेस परेशानी का सबब और बीजेपी शुभ संकेत मान रही है.
बता दें कि चार दिन पहले राजधानी भोपाल में भीम आर्मी के डेढ़ से दो लाख कार्यकर्ता जुटे थे. आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण ने शक्ति प्रदर्शन का आह्वान किया था. भीम आर्मी के शक्ति प्रदर्शन से मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की एकता दिखी. अनुसूचित जाति की एकजुटता से चंद्रशेखर रावण उत्साहित हैं. लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस शक्ति प्रदर्शन से परेशान नजर आ रही है. जानकारों का मानना है कि एससी-एसटी वोटरों पर कांग्रेस अधिकार मानती है, ऐसे में भीम आर्मी के बैनर तले वोट कटने का खामियाजा कांग्रेस को ही भुगतना होगा.
एससी-एसटी वोटरों के बिखराव से मुश्किल में कांग्रेस
बता दें कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 82 सीटें आरक्षित है. फिलहाल इन सीटों पर बीजेपी तुलना में कांग्रेस अधिक काबिज है. विपक्षी दल कांग्रेस अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वोटरों के दम पर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वापसी की राह देख रही है, लेकिन बीते दिनों राजधानी भोपाल के भेल दशहरा मैदान पर भीम आर्मी के बैनर तले हुए आयोजन ने कांग्रेस की नींदें उड़ा दी हैं.
बता दें कि मध्यप्रदेश की सियासत में भीम आर्मी, जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन चुनावी ताल ठोंकने की तैयारी में हैं. भोपाल में हुआ आयोजन इसी तारतम्य में था. भीम आर्मी के बैनर तले आयोजन को बीजेपी शुभ संकेत मान रही है, जबकि कांग्रेस आयोजन से टेंशन में आ गई है.
चंबल में भीम आर्मी, मालवा में जयस से बिगड़ेगा खेल?
जानकारों का मानना है कि 2018 के चुनावों में कांग्रेस को चंबल-ग्वालियर क्षेत्र में जमकर अनुसूचित जाति वर्ग के वोट मिले थे, इसी तरह मालवा अंचल में कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटों के बल ही सरकार में वापसी की थी. लेकिन 2023 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले भीम आर्मी ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सियासी जमीन मजबूत कर ली है और इधर मालवा क्षेत्र में जयस मजबूती के साथ खड़ा हो गया है. दोनों ही संगठन कांग्रेस के लिए परेशानी का कारण बनते दिख रहे हैं.
बीजेपी को है असादुदीन ओवैसी की पार्टी का इतंजार
बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में भीम आर्मी और जयस संगठन के सक्रिय होने के बाद बीजेपी को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन विधायक दल के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी का इंतजार है. प्रदेश में मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के पारंपरिक वोटर हैं, लेकिन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की विधानसभा चुनावों में एंट्री कांग्रेस के लिए एक और नई परेशानी का कारण बन जाएगी, जबकि बीजेपी को लाभ मिलने का अनुमान है. यही कारण है कि अब बीजेपी मध्यप्रदेश में ओवैसी की पार्टी का इंतजार कर रही है.