MP Assembly Election 2023: चुनावी साल में शिवराज सरकार की टेंशन बढ़ती जा रही है. अब साढ़े सात लाख कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार को धमकी दी है. आंदोलनरत कर्मचारियों ने पेंशन नहीं तो वोट नहीं का एलान किया है. कर्मचारियों की मांग का कांग्रेस (Congress) ने समर्थन कर आंदोलन को धार दे दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार बनने पर पुरानी पेंशन बहाली (Old Ppension Scheme) का वादा किया है. कर्मचारियों का कहना है कि सांसद, विधायकों को पेंशन तो कर्मचारियों को क्यों नहीं.


शिवराज सरकार के लिए गले की फांस बनी पुरानी पेंशन


बता दें कि पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के लिए कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में साढ़े चार लाख नियमित अधिकारी, कर्मचारी हैं. निगम-मंडल या सरकारी उपक्रमों के कर्मचारियों को शामिल करने पर संख्या साढ़े सात लाख से ज्यादा होती है. मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी है. मध्यप्रदेश में कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लिए आंदोलन चला रहे हैं. पड़ोसी राज्यों को देखते हुए शिवराज सरकार टेंशन में है.


गौरतलब है कि एक जनवरी 2005 के बाद अंशदायी पेंशन योजना लागू है. कर्मचारी 10 प्रतिशत और 14 प्रतिशत राशि सरकार मिलाती है. कर्मचारी संगठनों के मुताबिक राशि को शेयर मार्केट में लगाया जाता है. ऐसे में कर्मचारियों का भविष्य शेयर बाजार के उतार चढ़ाव पर निर्भर है. रिटायर होने पर 50 प्रतिशत राशि एकमुश्त दी जाती है. शेष 50 प्रतिशत से कर्मचारियों की पेंशन बनती है.


दिग्विजय सरकार को भुगतना पड़ा था कर्मियों का गुस्सा


राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी के लिए पेंशन अब टेंशन बन चुकी है. पुराने चुनाव का इतिहास गवाह है कि कर्मचारियों के मोर्चा खोलने पर सरकार को चुनाव में मुंह की खानी पड़ी है. सूत्र बताते हैं कि दिग्विजय सिंह सरकार के लिए भी गले की हड्डी कर्मचारी बने थे. उसका परिणाम चुनाव में कांग्रेस को भुगतना पड़ा था. अब कांग्रेस कर्मचारियों की नब्ज पकड़ कर सत्ता की कुर्सी चढ़ना चाहती है. कर्मचारियों के चहेते रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समस्या का समाधाना कैसे ढूंढेंगे. 


साढ़े सात लाख कर्मचारियों ने वोट नहीं देने की दी धमकी


कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश में एक दिन का भी विधायक सभी सुविधाओं का हकदार हो जाता है. वर्तमान में विधायकों को प्रतिमाह 30 हजार रुपए वेतन दिया जाता है. निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 35 हजार रुपए, टेलीफोन भत्ता 10 हजार, चिकित्सा भत्ता 10 हजार, लेखन सामग्री और डाक भत्ता 10 हजार रुपए, कम्प्यूटर ऑपरेटर या अर्दली भत्ता 15 हजार रुपए प्रतिमाह दिया जाता है. पूर्व विधायकों को पेंशन 20 हजार रुपए प्रतिमाह, चिकित्सा भत्ता 15 हजार रुपए, अतिरिक्त पांच वर्ष से ऊपर 800 रुपए एक वर्ष, परिवार पेंशन 18 हजार रुपए प्रतिमाह प्रतिवर्ष 500 रुपए की बढ़ोतरी, राज्य के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है. 


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है कि हिमाचल-छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है. कर्मचारियों का ही पैसा बीजेपी की सरकार ने शेयर बाजार में लगाकर भविष्य अंधकार कर है. कर्मचारियों का अधिकार मिलना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाएगी. अब्बास हफीज खान काग्रेस मीडिया प्रभारी ने बताया कि कांग्रेस सरकार में योजनाएं जनहितैषी बनाई जाती हैं. बीजेपी में कुछ उद्योगपतियों का ध्यान रखा जाता है और जनता को बेसहारा, लाचार छोड़ दिया जाता है. सबसे ज्यादा पीड़ित बुजुर्ग पेंशनधारियों को कांग्रेस सम्मान दे रही है.


कांग्रेस की सरकार ने हिमाचल, छत्तीसगढ़, राजस्थान में पुरानी पेंशन लागू कर दी है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार आने पर भी जल्द ओल्ड पेंशन लागू हो जाएगी. वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित का कहना है कि पेंशन बहुत बड़ा मुद्दा है. पुरानी पेंशन की बहाली के लिए देशव्यापी आंदोलन हुआ. कुछ राज्यों ने बहाल कर दिया. अभी केन्द्र सरकार ने कहा दिया कि हम मदद नहीं करेंगे. केन्द्र सरकार एक तरह की धमकी दे रही है. इसका असर शिवराज सिंह चौहान पर जरूर पड़ेगा.


आप याद कीजिए पिछले चुनाव में उन्होंने माई के लाल वाला बयान दिया था. उसका खामियाजा सरकार से हाथ धोकर चुकाना पड़ा था. उसी तरह से पेंशन भी गले की फांस बनने वाली है. ओल्ड पेंशन योजना पर मध्यप्रदेश के बीजेपी नेता चुप्पी साधे हुए हैं. एबीपी न्यूज को बीजेपी नेता हितेश वाजपेयी ने फोन पर मीटिंग में होने का हवाला दिया और बाद में बात करने का आश्वासन देकर फोन रख दिया. बीजेपी प्रभारी नेहा बग्गा ने बताया कि ओल्ड पेंशन योजना पर बोलने के लिए अभी कोई गाइडलाइन तय नहीं है. इसलिए मामले में अभी कुछ नहीं कह सकते.


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