MP Election 2023: 19 साल पहले शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के अपमान पर संत समाज में उबाल, जबलपुर में काली पट्टी बांधकर किया विरोध
MP Elections: स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि इस दुःखद संयोग के अवसर पर हम सभी सनातनी ने संकल्प लिया है कि हमारे किसी भी सर्वोच्च धर्मगुरु को इस प्रकार कभी भी प्रताड़ित करने का कोई दुस्साहस ना कर सके.
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश के चुनावी माहौल में आज जबलपुर में कांची कामकोटि पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी जयेंद्र सरस्वती के 19 साल पहले अपमान को अलग ही अंदाज में याद किया गया. आज ही के दिन 19 साल पहले तमिलनाडु की जयललिता सरकार ने ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. संत समाज और बीजेपी ने इस घटना के विरोध स्वरूप आदि शंकराचार्य चौक पर काली पट्टी बांधकर पैदल यात्रा भी की.
यहां बताते चलें कि दलितों को मंदिर में प्रवेश देने का अभियान चलाने और धर्म परिवर्तन का मुखर होकर विरोध करने वाले कांची कामकोटि पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती को 19 साल पहले आज के ही दिन 11 नवम्बर को (दीवाली से एक दिन पहले) तमिलनाडु सरकार ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इसके विरोध में आज जबलपुर में साधु-संतों और बीजेपी नेताओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया और ब्रह्मलीन शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की.
#Jabalpur में कांची कामकोटि पीठ के ब्रम्हलीन शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती का पुण्य स्मरण संस्कारधानी के संतो की उपस्थिति में किया गया.19 वर्ष पूर्व 11 नवम्बर को शंकराचार्य को गिरफ्तार किया गया था.कार्यक्रम में सांसद @MPRakeshSingh भी उपस्थित थे.@abplive@BJP4India@BJP4MP pic.twitter.com/Qhg0Qtp6eP
— AJAY TRIPATHI (ABP News) (@ajay_media) November 11, 2023
झूठा मुकदमा लगा कर भेजा था जेल
इस दौरान स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज ने कहा कि आजादी के बाद देश में पहली बार आज से 19 साल पहले भारतीय पंचांग के अनुसार इसी तिथि पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी. तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता के साथ मिलकर केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार के जरिए सोनिया गांधी ने ब्रह्मलीन शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती पर हत्या का झूठा आरोप लगाकर जेल में डालने का काम किया था, जिसके कारण शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को लंबे समय तक सलाखों के पीछे रहना पड़ा था.
प्रणब मुखर्जी के इस सवाल पर पूरा कैबिनेट हो गया था खामोश
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शंकराचार्य को निर्दोष मानते हुए ससम्मान बरी किया था.उन्होंने कहा कि इस घटना का जिक्र पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिवंगत नेता प्रणव मुखर्जी ने अपनी पुस्तक (The Coalition Years 1996-2012) में भी किया है. प्रणव मुखर्जी ने लिखा है कि उन्होंने कैबिनेट की बैठक में इस मसले को उठाया था और यूपीए सरकार समेत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सवाल पूछा था कि क्या देश में धर्म निरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत महात्माओं तक ही सीमित है? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा सकती है?, जिस पर पूरा मंत्रिमंडल खामोश हो गया था.
'अपमान को ना भूलेंगे ना भूलने देंगे'
स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज ने कहा कि इस दुःखद संयोग के अवसर पर हम सभी सनातनी ने संकल्प लिया है कि हमारे किसी भी सर्वोच्च धर्मगुरु को इस प्रकार अब कभी भी प्रताड़ित करने का कोई दुस्साहस ना कर सके. इसलिए ब्रह्मलीन शंकराचार्य के इस अपमान को सनातनी ना भूलेंगे और न ही साधु संत उसे किसी को भूलने देंगे.
कांग्रेस प्रत्याशी पर सनातन के नाम पर पाखंड करने का लगाया आरोप
जबलपुर के सांसद और पश्चिम विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार राकेश सिंह ने भी सनातन परंपरा के संत शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के अपमान की इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के सारे पर जयललिता ने यह कृत्य किया था. इसीलिए संतों ने कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा किया है. संत समाज सवाल पूछ रहा है कि जो लोग सनातन को कोढ़, खाज, डेंगू और मलेरिया कहते हैं, उनके साथ कांग्रेस कैसे खड़ी है? इस दौरान राकेश सिंह ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी तरुण भनोट पर भी सनातन के नाम पर पाखंड करने का आरोप लगाया.
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