Kamal Nath on Shivraj Singh Chouhan: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचा है औऱ इसी बीच विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर हमलावर है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए यह दावा किया है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी में हताशा चरम पर है. पीएम मोदी पर दबाव बनाने के लिए अब शिवराज सिंह चौहान जनता को जरिया बना रहे हैं और लगातार सवाल कर रहे हैं कि उन्हें अगला सीएम बनना चाहिए या नहीं?
कमलनाथ ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा, 'मध्य प्रदेश भाजपा में हताशा अपने चरम पर है. पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लेना बंद कर दिया और उन्हें मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर कर दिया. इसके जवाब में प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने के लिए पहले तो मुख्यमंत्री ने जनता के बीच यह पूछना शुरू किया कि मैं चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं और अब सीधे पूछ रहे हैं कि मोदी जी को प्रधानमंत्री होना चाहिए या नहीं. पीएम और सीएम की जंग में, भाजपा में जंग होना तय है. जिन्हें टिकट मिला, वह लड़ने को तैयार नहीं है और जो टिकट की रेस से बाहर हैं, वह सबसे लड़ते फिर रहे हैं.'
कई बार मंच पर ही भावुक हुए सीएम शिवराज
मालूम हो, चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अलग-अलग जिलों में जनता से एक ही सवाल कर रहे हैं. वह मौजूदा भीड़ से पूछ रहे हैं कि उन्हें चुनाव लड़ें या नहीं? हाल ही में शुक्रवार 6 अक्टूबर को शिवराज सिंह चौहान डिंडौरी पहुंचे थे जहां चरण पादुका कार्यक्रम को संबोधित किया औऱ रोड शो भी किया. इस दौरान उन्होंने लोगों से सवाल किया, 'आज आपसे पूछ रहा हूं, मुझे दिल से ईमानदारी से बताना. मैं कैसी सरकार चला रहा हूं? अच्छी सरकार चला रहा हूं कि बुरी सरकार चला रहा हूं? तो ये सरकार आगे चलनी चाहिए कि नहीं? मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं?' वहीं, इससे पहले वो मंच से ही महिलाओं से कह चुके हैं, 'ऐसा भैया मिलेगा नहीं. जब मैं चला जाऊंगा तब याद आऊंगा तुम्हें.'
शिवराज सिंह चौहान के ऐसे बयानों से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. सीएम शिवराज की इन बयानबाजियों से अटकलों का बाजार भी गर्म है. ऐसे में जह उनसे इन बयानों का मतलब पूछा गया तो शिवराज सिंह चौहान ने एक ही बात कही. उन्होंने कहा कि इसका मतलब भाई-बहन समझते हैं. हम पूछते हैं लड़ें या नहीं लड़ें, तो जनता कहती है लड़ो. ये हमारे परिवार का रिश्ता है, इसे समझने के लिए काफी गहरी दृष्टि चाहिए.
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