MP Election 2023: एमपी की 'सत्ता की चाबी' मालवा निमाड़ से मिलती है, जानें- कैसा रहा है इन 66 विधानसभाओं का रिकॉर्ड
MP Elections 2023: मालवा निमाड़ की बात करें तो यहां किसान व्यापारी और आदिवासियों से यह क्षेत्र पूरी तरह भरा हुआ है, इस क्षेत्र में विधानसभा की कुल 66 सीट आती हैं.
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को वोटिंग है और राज्य की बात करें तो एमपी की सत्ता की चाबी मालवा निमाड़ से मिलती है, यह बात जग जाहिर है. ऐसे में मालवा की 66 सीटों पर रस्साकशी देखी जा रही है. जैसे-जैसे वोटिंग का नजदीक आ रहा है. राजनीतिक दल पूरा जोर लगाने में लगे हैं, ताकि उन्हें अधिक से अधिक सीटों का लाभ मिल सके इधर मध्य प्रदेश में मालवा निर्माण क्षेत्र में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और बीजेपी निगाहें बनाए हुए हैं. आपको बता दे कि मालवा और निर्माण की अहमियत इस समय चुनाव में बहुत ज्यादा है और यहां की सिम मध्य प्रदेश में अपना प्रभाव रखती हैं, जहां आदिवासी बाहुल्य इलाके भी इसमें आते हैं.
मालवा निमाड़ की बात करें तो यहां किसान व्यापारी और आदिवासियों से यह क्षेत्र पूरी तरह भरा हुआ है. इस क्षेत्र में विधानसभा की कुल 66 सीट आती हैं, जो बाकी सीटों के मुकाबले प्रभाव में कहीं ज्यादा है. दोनों ही दल इस बात को बेहतर तरीके से समझते और जानते हैं कि अगर राज्य की सत्ता पाना है तो उसकी चाबी यही से मिलेगी और इसलिए दोनों ही पार्टियों का क्षेत्र पर अच्छा खास फोकस होता है.
ये रहा था पिछले दो बार का रिकॉर्ड
मध्य प्रदेश मालवा निर्माण अगर हम पिछले पांच सालों की बात कर रहे हैं या पिछले चुनाव की बात करें जब कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सत्ता हासिल हुई थी. उसे वक्त मालवा निमाड़ ने ही कांग्रेस का वनवास खत्म करते हुए उसे जीत दिलाई थी, इस क्षेत्र में कांग्रेस ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था और बीजेपी से ज्यादा सीट कांग्रेस लेकर आई थी पिछले बार के चुनाव में कांग्रेस ने यहां 66 सीटों में से 35 सीटों पर विजय हासिल की थी. वहीं बीजेपी केवल 28 सीटों पर संतुष्ट हुई, इससे पहले 10 साल पहले की बात अगर करते हैं तो 2013 की विधानसभा चुनाव में मोदी लहर थी. बीजेपी ने क्षेत्र में 57 सीटों पर जीत हासिल की थी और मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज भी हुई थी. यहां 2013 में कांग्रेस केवल 9 सीटों पर सिमट कर रह गई थी.
इधर मध्य प्रदेश में सत्ता पलट हुआ तो 2020 के उप चुनाव के बाद बीजेपी के पास मालवा निमाड़ में 33 सीट हैं जबकि कांग्रेस के पास 30 सीट हैं यानी दोनों पार्टियों इस क्षेत्र में बराबर की स्थिति में नजर आ रही है और दोनों ही दल और राजनेता लोगों का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इस बार आदिवासियों की नई पार्टी भारत आदिवासी पार्टी भी मैदान में उतरी है और उसने आदिवासी क्षेत्रों में नौ उम्मीदवारों को टिकट दिया है कहीं ना कहीं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी इससे प्रभावित होते नजर आ रहे हैं और दोनों ही पार्टियों का वोट बैंक थोड़ा बहुत खिसकता हुआ दिख रहा है.
आदिवासियों का झुकाव होगा निर्णायक
चुनाव के नतीजे बताते हैं कि 2013 में जहां बीजेपी इस क्षेत्र में बढ़त बनाई हुई थी वहीं 2018 की स्थिति बीजेपी के लिए बहुत मुश्किल रही और आदिवासियों ने बीजेपी से किनारा कर लिया मालवा निमाड़ में कुल 15 जिले हैं. इन 15 जिलों में धार झाबुआ अलीराजपुर बुरहानपुर देवास खंडवा खरगोन नीमच मंदसौर जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में आदिवासी निवास करते हैं. ऐसे में अब जबकि कांग्रेस पिछले चुनाव में क्षेत्र में बढ़त बना चुकी है, तो आने वाले समय में आदिवासियों का झुकाव किस पार्टी की तरफ होगा यह कहना मुश्किल है.
ये फैसले निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं
लेकिन ऐसे में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोची समझी रणनीति के तहत पिछले कुछ महीनो में आदिवासियों की समस्याओं को सुना और उनके लिए सौगात लेकर आए थे. इसमें लाडली बहन योजना भी शामिल है, वहीं आदिवासियों के लिए जमीन के आवंटन और उनकी सुरक्षा को लेकर भी वादे किए गए, जो इस बार के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.