Mayawati BSP Role in MP Electio 2023: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. वैसे तो प्रदेश में दो ही ताकतों (बीजेपी और कांग्रेस ) के बीच ही प्रमुख लड़ाई बताई जा रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस दो ध्रवीय लड़ाई में खुद को तीसरा विकल्प बनाने में लगी मायावती (Mayawati) की बहुजन समाज पार्टी (BSP) इस बार विधानसभा चुनाव में दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों का खेल बिगाड़ती नजर आ रही है.
बीएसपी ने इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन किया और चुनाव लड़ी है. गोंगपा का आदिवासी बहुल खासकर के महाकौशल के क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है. इस बार बीएसी ने 183 तो गोंगपा ने 45 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा है. इस बार एमपी में सपा, आप और जेडियू जैसी पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं. हालांकि यहां बीएसपी और सपा के अलावा किसी अन्य पार्टी का उतना प्रभाव नहीं है. यूपी के सीमा से लगे विंध्य और बुंदेलखंड के क्षेत्रों में बीएसपी से हमेशा ही अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है.
साल 2018 में गिरा बीएसपी का मत प्रतिशत
ग्वालियर में भी पार्टी की मौजूदगी हमेशा रही है. बीएसी को प्रदेश में सबसे ज्यादा 11 और सबसे कम सात फीसदी मिले हैं. साल 1983 और 1998 के एमपी चुनावों में मायावती की पार्टी के 11 उम्मीदवार एमएलए बने थे. दोनों ही बार कांग्रेस को सत्ता मिली थी. वहीं साल 2003 में जब बीजेपी 173 सीटों के साथ एमपी की सत्ता में आई तब भी बीएसपी को 10 फीसदी वोट मिले थे. हांलाकि पार्टी के केवल दो उम्मीदवारों को ही जीत मिली थी. साल 2018 के चुनाव की बात की जाए बीएसपी को मत प्रतिशत गिरा था.
साल 2018 में बीएसपी को मिले 6.42 फीसदी वोट
साल 2018 में बीएसपी प्रदेश में केवल 6.42 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई और उसे केवल दो ही सीटों पर ही जीत नसीब हुई. साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी. वहीं बीएसपी ने समेत दूसरे दलों ने भी इस चुनाव में बागियों पर दांव आजमाया है. लिहाजा कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. ये उम्मीदवार कुछ सीटों पर बीजेपी तो कुछ सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं. मायावती की पार्टी के उम्मीदवार विंध्य, सतना, नागौद, चित्रकूट और रैगांव सीट पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.
इन सीटों पर बागी बिगाड़ रहे खेल
सतना में बीएसपी ने बीजेपी के रत्नाकर चतुर्वेदी उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने अपनी ही पूरानी पार्टी के गणेश सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वहीं नागौद सीट से बीएसपी उम्मीदवार बने कांग्रेस के बागी यादवेंद्र सिंह ने भी अपनी पूरानी पार्टी की परेशानी बढ़ा दी है. इसी प्रकार चित्रकूट सीट से बीजेपी के बागी सुभाष शर्मा हाथी पर चढ़कर अपनी पूर्व पार्टी के पार्टी के प्रत्याशी और एमएलए सुरेंद्र सिंह गहरवार और कांग्रेस के मौजूदा विधायक नीलांशु चतुर्वेदी के लिए मुश्किल का सबब बन रहे हैं. रैगांव सीट से बीएसपी के देवराज अहिरवार चुनावी मैदान में हैं.
ये जिले की एकमात्र सुरक्षित सीट है. बता दें प्रदेश की और भी ऐसी कई सीटें हैं, जहां बीएसपी के उम्मीदवार बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ते नजर आ रहे हैं. हालांकि सेंटर फॉर डेवलपिंग सोसाइटीज के संजय कुमार के मुताबिक इस बार कोई भी पार्टी प्रदेश में तीसरी ताकत या विकल्प बनने की हालत में नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन इतना जरूर है कि बीएसपी और सपा ने ये चुनाव पूरी मजबूती के साथ लड़ा है.