MP Election 2023 News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीते चार कार्यकालों से मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इस दौरान में वह साढ़े 16 साल तक प्रदेश के सीएम रहे. मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान शिवराज सिंह चौहान प्रदेश भर के लगभग तमाम जिलों का दौरा किया, हालांकि उन्होंने अपने ही गृह जिले सीहोर की इछावर नगर से दूरी बनाकर रखी. उनका यह कार्यकाल भी समाप्त हो गया और प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई, लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान एक बार भी इछावर की धरती पर नहीं आए.
बता दें, इछावर नगर के लिए एक मिथक चला आ रहा है. इस मिथक के अनुसार जो भी मुख्यमंत्री इछावर नगर में आता है, फिर वह दोबार मुख्यमंत्री नहीं रह पाता. यही कारण है कि राजधानी भोपाल से 57 किलोमीटर दूर स्थित इछावर नगर में सीएम शिवराज सिंह चौहान बीते साढ़े 16 साल के कार्यकाल के दौरान एक बार भी नहीं आए. हालांकि कांग्रेस की डेढ़ साल की सरकार के दौरान शिवराज सिंह चौहान इछावर आए थे और विधायक करण सिंह वर्मा के साथ मिलकर किसानों के लिए तहसील कार्यालय पहुंचकर धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा था.
इन दिग्गजों ने किया मिथक तोड़ने का प्रयास
इछावर के मिथक को तोड़ने का प्रयास कई मुख्यमंत्री कर चुके हैं, लेकिन जितने भी मुख्यमंत्रियों ने इछावर की धरती पर कदम रखा फिर वह सीएम नहीं रह सके. इस मिथक को तोड़ने के लिए 15 नवंबर 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इछावर में आयोजित सहकारी सम्मेलन में शामिल होने के लिए आए थे, इसके बाद प्रदेश में हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.
इसी तरह डॉ. कैलाश नाथ काटजू भी 12 जनवरी 1962 को विधानसभा चुनाव के एक कार्यक्रम में शामिल होने इछावर आए थे. इसके बाद 11 मार्च 1962 को हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हार गई थी और डॉ. कैलाश नाथ काटजू को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. इसी तरह 1 मार्च 1967 को द्वारका प्रसाद मिश्र भी इछावर आए थे और 7 मार्च 1967 को हुए नए मंत्रिमंडल के गठन से उपजे असंतोष के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा था.
इछावर बीजेपी का गढ़
भले ही मुख्यमंत्री ने इछावर विधानसभा से दूरी बना ली हो, बावजूद इछावर विधानसभा बीजेपी का गढ़ माना जाता है. एक बार को छोड़कर बीते 7 बार से करण सिंह वर्मा यहां से विधायक हैं. इस बार भी बीजेपी ने करण सिंह वर्मा को ही प्रत्याशी बनाया है. इछावर विधानसभा वर्ष 1985 से बीजेपी के कब्जे में है, हालांकि 2013 में कांग्रेस ने बीजेपी से यह गढ़ छीन लिया था, लेकिन 2018 के चुनाव में फिर से बीजेपी ने यहां जीत दर्ज कर अपना परचम लहराया.
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