BSP in MP Assembly Elections 203 : मध्य प्रदेश में आधी आबादी यानी महिला वोटर इन दिनों राजनीति के केंद्र में हैं. बीजेपी और कांग्रेस महिला वोटर को तमाम गिफ्ट (लाभकारी योजनाएं) दे ही रही हैं, अब बीएसपी ने भी बड़ा दांव चला है. मायावती की बीएसपी ने तय किया है कि अगले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के हर जिले से एक सीट पर महिला को अनिवार्य रूप से पार्टी का टिकट दिया जाएगा. वैसे अभी भी बीएसपी की मध्यप्रदेश से एकमात्र विधायक भी महिला ही है.


मध्यप्रदेश में हैं तकरीबन 2.60 करोड़ महिला वोटर 


बीएसपी के प्रदेश प्रभारी रामजी गौतम ने राजधानी भोपाल में कहा कि पार्टी हर जिले में एक महिला को टिकट देगी, इस पर गंभीरता से मंथन चल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि बीएसपी राज्य की सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. साथ ही क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले नेता को टिकट नहीं देगी. किसी राजनीतिक दल से गठबंधन के सवाल पर गौतम ने कहा कि यह निर्णय पार्टी सुप्रीमो मायावती ही लेंगी.


राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी दलों के लिए सबसे बड़ा कार्ड महिला वोटर ही होंगी. इसीलिए कांग्रेस-बीजेपी के साथ बीएसपी की ओर से उन्हें अपने खेमें में करने के लिए बिसात अभी से बिछाई जाने लगी है.


बीजेपी को चुनाव में महिलाओं का 2 फीसद ज्यादा मिला था वोट


यहां बता दें कि साल 2018 के चुनाव में बीजेपी को महिलाओं का 2 प्रतिशत वोट ज्यादा मिला था. इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अगले विधानसभा चुनाव का बैटल फील्ड तैयार कर दिया है. यह पूरी तरह महिला वोटर केंद्रित है. बजट में महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 1 लाख करोड़ से अधिक का प्रावधान किया गया है. यह पूरे बजट की एक तिहाई रकम है.


गेम चेंजर के तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बार 'सीएम लाडली बहना' योजना लेकर आए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन यानी 5 मार्च से इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया था. अनुमान है कि करीब एक करोड़ पात्र महिलाओं को 10 जून को इस योजना की पहली किस्त मिल जाएगी. वहीं,नवम्बर में मतदान केंद्र तक जाने से पहले इन महिलाओं के खाते में छह-छह हजार रुपये आ चुके होंगे. यह महिला मतदाताओं को मनोवैज्ञानिक तरीके से शिवराज सिंह चौहान को वोट करने के लिए प्रेरित करेगा.


कांग्रेस भी लगी है महिलाओं को लुभाने में 


उधर, कांग्रेस ने भी अगले विधानसभा चुनाव में महिला वोटरों को साधने के लिए बड़ा दांव चला है. चुनाव में पार्टी का सीएम चेहरा कमलनाथ ने वचन दिया है कि यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो गैस सिलेंडर सिर्फ 500 रुपये में दिया जाएगा. इसके साथ ही लाडली बहना को भी 1500 रुपये महीना देने की घोषणा कमलनाथ ने की है.


कम हो गई महिला विधायकों की संख्या


अब बात जमीनी हकीकत की करें तो मध्यप्रदेश विधानसभा में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में महिलाएं पिछड़ती दिख रही हैं.साल 2018 में मध्य प्रदेश में महिला विधायकों की संख्या 2013 के चुनाव की तुलना में करीब-करीब आधी हो गई थी.साल 2018 में 18 महिला विधायक ही निर्वाचित हुईं, जबकि उससे पिछली विधानसभा में उनकी संख्या 31 थी.


चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में निर्वाचित 230 विधायकों में 114 सीटें कांग्रेस और 109 सीटें भाजपा को मिली. बसपा को दो और सपा को एक सीट मिली है. चार सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई हैं. नवनिर्वाचित 18 महिला विधायकों में से नौ भाजपा और आठ कांग्रेस की हैं. दमोह जिले की पथरिया सीट से बीएसपी की राम बाई अहिरवार निर्वाचित हुईं.


किस पार्टी से कौन है महिला विधायक


साल 2018 में भाजपा की टिकिट पर शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया, जैतपुर से मनीषा सिंह, मानपुर से मीना सिंह, सीहोरा से नंदनी मरावी, बासौदा से लीना जैन, गोविन्दपुरा से कृष्णा गौर, धार से नीना वर्मा, इन्दौर-4 से मालिनी गौड़ और डॉ अम्बेडकर नगर (महू) से उषा ठाकुर चुनाव जीती थी. कांग्रेस की आठ विधायकों में डबरा से इमरती देवी, लांजी से हिना लिखीराम कांवरे, गाडरवारा से सुनीता पटेल, नेपानगर से सुमित्रा देवी कास्देकर, भीकनगांव से झूमा सोलंकी, महेश्वर से डॉ विजयालक्ष्मी साधौ, पानसेमल से चंद्रभागा किराड़े, और जोबट से कलावती भूरिया जीती थीं. वही,साल 2013 में 31 महिला विधायक थीं,जिनमें भाजपा की 24, कांग्रेस की 5 और बसपा की 2 विधायक थीं.


18 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों से ज्यादा हैं महिला वोटर


वरिष्ठ पत्रकार रवि दुबे कहते हैं कि राजनीतिक दलों का महिला वोटरों की तरफ रुझान होने की बड़ी वजह निर्वाचन आयोग के ताजा आंकड़े भी हैं. इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों में महिला वोटर्स किसी भी पार्टी को जीत दिलाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली हैं. एमपी के 41 जिलों में महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों के मुकाबले बढ़ी है. साथ ही 18 विधानसभा सीटों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला वोटर्स की संख्या अधिक है. यही वजह है कि चुनावों को लेकर पार्टियां महिला वोटर्स पर फोकस कर रही हैं.


इस विधानसभा सीटों पर है महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा


यहां बताते चले कि प्रदेश में कुल महिला मतदाताओं की संख्या 2,60,23,733 है. महिला वोटर्स की संख्या बढ़ने के कारण इस बार जेंडर रेशियो 926 से बढ़कर 931 पर पहुंच गया है. वहीं 18 विधानसभा सीटों डिंडोरी, विदिशा, देवास, मंडला, बैहर, परसवाड़ा, बालाघाट, वारासिवनी, बरघाट, पानसेल, अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, सरदारपुर थांदला, पेटलावद, कुक्षी, सैलाना में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.


लगातार बढ़ रहा है महिलाओं का वोट प्रतिशत


साल 2018 में पिछले चुनाव के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा महिलाओं के वोट पड़े थे.साल 2013 में पुरुषों का वोट प्रतिशत 73.95 फीसद और महिलाओं का 70.11 फीसद था. वहीं,साल 2018 के चुनाव में पुरुषों का वोट प्रतिशत 75.72 फीसद और महिलाओं का 73.86 फीसद है. साल 2018 में महिलाओं के वोट प्रतिशत में 3.75 फीसदी इजाफा हुआ था.


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