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MP News: चंबल के बीहड़ों में खौफ का दूसरा नाम था मलखान सिंह! जानें- कांग्रेस में शामिल होने वाले इस पूर्व डकैत की कहानी

MP News: मलखान सिंह का नाता भिंड जिले के बिलाव गांव से रहा है. उनके चंबल के बीहड़ में कूदने की भी कहानी ज्यादती और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने से जुड़ी हुई है.

Dacoit Malkhan Singh Story: चंबल (Chambal) के बीहड़ की बात बागियों के जिक्र के बगैर पूरी नहीं हो सकती और बागियों की सूची डकैत मलखान सिंह (Malkhan Singh) के बगैर अधूरी है. लगभग एक दशक तक चंबल में आतंक का पर्याय रहे मलखान सिंह ने अब राजनीति की नई पारी का आगाज कर दिया है. पुरानी पीढ़ी तो डकैत मलखान सिंह से वाकिफ होगी. लेकिन, नई पीढ़ी मलखान सिंह से अनजान ही है, इसलिए हम बताते हैं कि मलखान सिंह कैसे पहुंचा बीहड़ और उसने एक दशक तक किस तरह की अपराधों को अंजाम दिया.

मलखान सिंह का नाता भिंड जिले के बिलाव गांव से रहा है. उनके चंबल के बीहड़ में कूदने की भी कहानी ज्यादती और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने से जुड़ी हुई है. गांव के तत्कालीन सरपंच कैलाश नारायण पंडित से उनकी दुश्मनी चली और उसी के चलते मलखान सिंह को बागी होना पड़ा. मलखान सिंह को डकैत कहलाना कभी रास नहीं आया. वह अपने को हमेशा बागी कहता रहा.

1972 से 75 तक वो बीहड़ में रहा
बात करते हैं मलखान सिंह के बीहड़ में कूदने की. उनके गांव में एक मंदिर से जुड़ी जमीन थी, जिस पर उस दौर के सरपंच कैलाश पंडित ने कब्जा कर रखा था. इसी बात से मलखान सिंह नाराज था और वह इस जमीन को मुक्त कराना चाहता था. 1972 में उसका विवाद हुआ और उसके बाद उन्होंने बंदूक उठा ली. वह 1972 से 75 तक बीहड़ में रहा और डकैती के काम में लगा रहा. इस दौरान उन पर तीन मामले भी दर्ज हुए. 1976 में मलखान सिंह ने कैलाश को मारने की कोशिश की. मगर वह उसमें असफल रहा, हां एक अन्य व्यक्ति जरूर उनकी गोली का शिकार हुआ और उसकी मौत हो गई.

मजबूत डकैत गिरोह बनाया
इसके बाद मलखान सिंह ने उत्तर प्रदेश के जालौन में शरण ली, धीरे-धीरे उसने  डकैत गिरोह बनाया और भिंड के अलावा मुरैना, उत्तर प्रदेश के इटावा, जालौन, आगरा और राजस्थान के धौलपुर में कई वारदातों को अंजाम दिया. मलखान सिंह ने लगभग एक दशक में न केवल मजबूत डकैत गिरोह बनाया बल्कि उसके बढ़ते अपराधों ने पुलिस की नींद उड़ा दी थी. 1980 के आते-आते उनके गिरोह पर लगभग 100 मामले दर्ज हो चुके थे और पुलिस लगभग एक लाख का इनाम घोषित कर चुकी थी.

 ऑटोमेटिक राइफल चलाने में महारत थी
चंबल के बीहड़ का मलखान सिंह ऐसा डकैत रहा है, जिसने लूटपाट, डकैती और अपहरण तो खूब किए, मगर उसके गिरोह के अपने सिद्धांत हुआ करते थे कि कोई भी डकैत किसी महिला पर बुरी नजर नहीं डालेगा. अगर कोई ऐसा करेगा तो उसे चौराहे पर खड़ा करके गोली मार दी जाएगी. कहा जाता है कि मलखान सिंह ने महिला अपराध में लिप्त कई लोगों को मौत के घाट उतारने में भी हिचक नहीं दिखाई. चंबल के बीहड़ का मलखान सिंह ऐसा डकैत रहा, जो सेमी-ऑटोमेटिक और ऑटोमेटिक राइफल चलाने में महारत रखता था.

1982 तक हत्या के 12 मामले हो चुके थे दर्ज
बागी मलखान सिंह के नाम पर 1982 तक हत्या के 12, अपहरण के 28, हत्या के प्रयास के 19 और डकैती के लगभग दो दर्जन मामले दर्ज हो चुके थे. इसी दौरान मलखान सिंह के मन में आत्मसमर्पण का ख्याल आया और उनके लिए एक जिम्मेदार व्यक्ति ने मध्यस्थता निभाई. मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मौजूदगी में मलखान सिंह ने 15 जून 1982 को आत्मसमर्पण कर दिया.

मलखान सिंह छह साल तक जेल में रहा और उसके बाद 1989 में उसे सभी मामलों से बरी किए जाने के साथ रिहा कर दिया गया. मलखान सिंह लगभग एक दशक से सियासत की राह पर चल रहा है और अब उसने कांग्रेस का दामन थामकर नई पारी की शुरुआत की है.

MP Politics: चंबल के पूर्व डकैत मलखान सिंह कांग्रेस में शामिल, कहा- 'BJP की सरकार में...'

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