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MP Elections 2023: एमपी में चढ़ा सियासी पारा! 11 हजार डाक मतपत्र गायब? कांग्रेस ने लगाए धांधली के आरोप

MP Elections: कांग्रेस ने निर्वाचन कार्यालय पर आरोप लगाया है कि आंकड़े छिपाए जा रहे हैं. डॉ. गोविंद सिंह भी वृद्ध, दिव्यांग और शासकीय कर्मचारियों के डाक मतपत्रों में गड़बड़ी की आशंका जता चुके हैं.

MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश में चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे लेकिन राजनीतिक दलों में एक-एक वोट के लिए घमासान अभी से मचा हुआ है. इस वक्त लड़ाई के केंद्र में पोस्टल बैलट (डाक मतपत्र)है, जिसे लेकर कांग्रेस जमकर हमलावर है. बालाघाट कांड के अलावा कांग्रेस 11 हजार गायब डाक मत पत्रों को भी मुद्दा बनाए हुए हैं. इसे लेकर कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है.

दरअसल,कई बार जब उम्मीदवारों में मुकाबला बराबरी का होता है, तब जीत-हार में डाकमत पत्रों की अहम भूमिका हो जाती है. माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कई सीटों में अन्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है. इसलिए डाक मतपत्रों को लेकर सियासी घमासान तेज होता जा रहा है.

यहां बताते चले कि विधानसभा चुनाव की ड्यूटी में मुस्तैद रहे प्रदेश के 3.34 लाख अफसर-कर्मचारियों के डाक मतपत्रों को लेकर सूबे का सियासी पारा गरमाया हुआ है. कांग्रेस का सीधा आरोप है कि कहीं कर्मचारियों को डाक मतपत्र नहीं मिले तो कहीं कर्मचारी वोट करने के लिए भटकना पड़ा. कांग्रेस का यह भी आरोप है कि ओपीसी के मुद्दे पर कर्मचारियों का झुकाव उसकी तरफ था. इस वजह से डाक मतपत्रों को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है.

मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक चुनाव ड्यूटी में लगे 3 लाख 34 हजार 354 अधिकारी-कर्मचारियों को डाक मतपत्र जारी किए गए थे. 3.23 लाख कर्मचारियों ने डाक मतपत्रों का प्रयोग किया. फिलहाल 11 हजार 354 डाकपत्रों का रिकार्ड उपलब्ध नहीं है. कांग्रेस ने निर्वाचन कार्यालय पर आरोप लगाया है कि आंकड़े छिपाए जा रहे हैं. वहीं नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी अपने विधानसभा क्षेत्र के वृद्ध, दिव्यांग और शासकीय कर्मचारियों के डाक मतपत्रों में गड़बड़ी की आशंका जता चुके हैं.

कांग्रेस के चुनाव कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया के मुताबिक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से कई बार डाक मत पत्र से जुड़े आंकड़े मांगे, लेकिन वह बार-बार देने से इनकार कर रहे हैं. हम आयोग से आंकड़े मांग रहे हैं कि कितने मतपत्र जारी किए, कितने वोट पड़े. दस चिट्ठी लिखने के बाद भी आंकड़े नहीं दिए. इसलिए गड़बड़ी की आशंका है.

दरअसल,रीवा और खंडवा जिलों के दो मामलों ने कांग्रेस को संदेह करने का मौका दे दिया. रीवा जिले के 700 कर्मचारियों की ड्यूटी सीधी जिले में लगाई गई थी. 11 नवंबर को डाक मतपत्र जारी किए गए. रीवा के डाक मत पत्रों का वितरण का जिम्मा जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा गया था,लेकिन समय पर उन्होंने डाक मतपत्र नहीं दिए. कलेक्टर से शिकायत के बाद 18 नवंबर को मतपत्र दिए गए किंतु 17 नवंबर को मतदान पूर्ण होने के बाद डाकमत पत्रों को निरंक घोषित कर दिया गया.इसी तरह खंडवा जिले में मतदान खत्म होने के 3 दिन बाद डाक मतपत्रों से मतदान कराया गया.20 नवंबर को खंडवा में 123 पुलिसकर्मियों से डाक मतपत्र से मतदान कराया गया.आयोग तक शिकायत गई तो मतदान निरस्त कर दिया गया.

राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन का कहना है कि 3.23 लाख कर्मचारियों ने डाक मतपत्र से वोट दिए.कई मतपत्र कर्मचारी मतपत्र लेकर भी मतदान नहीं करते.इसलिए 10-11 हजार का गैप है.कांग्रेस की चिट्ठियों का भी जवाब देंगे.

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