MP Election 2023 News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव के तारीख के एलान के बाद सभी राजनीतिक पार्टियों ने उम्मीदवारों के नामों का एलान का क्रम भी तेज कर दिया है. मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी अब तक 136 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान कर चुकी है. प्रदेश में मुख्य विपक्षी कांग्रेस भी अपने पहली सूची में 140 उम्मीदवारों के नाम होने का दावा कर रही है. अभी कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची फाइनल नहीं हुई है. क्या पार्टी के लिए अगली सूची टेढी खीर साबित होगी.


मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही मजबूत प्रत्याशियों को मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा उम्मीदवारों की अब तक चार सूची जारी कर चुकी है. मध्य प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है जब इतनी अधिक सूचियां में बीजेपी प्रत्याशियों के नाम सामने आ रहे हैं. बीजेपी ने पहली सूची में 39 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, जबकि दूसरी सूची में फिर 39 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया. इसके बाद तीसरी सूची में सिंगल नाम घोषित किया गया. 


भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार (9 अक्टूबर) को चौथी सूची जारी की, जिसमें 57 प्रत्याशियों को जगह दी गई है. इस सूची में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनके मंत्रियों को भी शामिल किया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि जिन सीटों पर अभी तक बीजेपी ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है, उन सभी पर लगभग सिंगल उम्मीदवार टिकट की दौड़ में शामिल थे. मगर अगली सूची जो भारतीय जनता पार्टी जारी करेगी, इन विधानसभा सीटों पर जमकर प्रतिस्पर्धा है. 


बीजेपी-कांग्रेस टिकट को लेकर बरत रही सावधानी
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही अपने प्रत्याशियों के नामों के एलान से पहले सावधानीपूर्वक और फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी में इस बार बगावती तेवर रखने वाले कई नेता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर सकते हैं. शायद यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी अधिक प्रतिस्पर्धा वाली सीटों को सबसे आखरी में फाइनल करेगी. कांग्रेस तो शुरुआत से ही पसोपेश में है. कांग्रेस में 230 सीटों के लिए 5000 दावेदारों ने आवेदन किए हैं.


राजनीतिक दलों की सोची समझी रणनीति
मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल यह चाहते हैं कि खिलाफत करने वालों को ज्यादा लंबा समय नहीं मिले. इसी के चलते अधिक प्रतिस्पर्धा वाली सीटों को आखिर में फाइनल किया जाएगा, ताकि यदि कोई नेता निर्दलीय रूप में भी मैदान में उतरे तो हुआ पार्टी को अधिक नुकसान न पहुंचा सके. इसके अलावा उसे तैयारी करने और अपनी बात लोगों तक पहुंचाने का अधिक वक्त भी नहीं मिले.


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