MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश की जबलपुर (Jabalpur) जिले से कांग्रेस ने चार वर्तमान विधायकों को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है. पार्टी ने कुल आठ में से छह उम्मीदवारों के नाम आज घोषित कर दिए, जिसमें सिहोरा विधानसभा क्षेत्र से एक नए चेहरे एकता ठाकुर को उम्मीदवार बनाया गया है. पार्टी ने फिलहाल जबलपुर कैंट और पनागर विधानसभा सीट को होल्ड पर रखा है. बीजेपी (BJP) ने भी अभी तक जिले की आठ में से छह सीटों पर ही अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं.


सबसे पहले जानते है कि कांग्रेस पार्टी ने साल 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कौन से चेहरों पर फिर से भरोसा जताया है. जिले की सबसे वीआईपी सीट जबलपुर पश्चिम से दो बार के विधायक और कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री रहे तरुण भनोट को टिकट दी गया है. तरुण भनोट बीजेपी के उम्मीदवार राकेश सिंह से मुकाबला करेंगे, जो जबलपुर से लगातार चार बार से सांसद हैं. 


विधायक विनय सक्सेना को फिर से टिकट
इसी तरह कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे दो बार के विधायक लखन घनघोरिया को जबलपुर पूर्व सीट से बीजेपी के अंचल सोनकर के खिलाफ मैदान में उतारा गया है. दोनों एक दूसरे को दो-दो बार चुनाव में पटखनी दे चुके हैं. वहीं जबलपुर उत्तर-मध्य सीट से वर्तमान विधायक विनय सक्सेना को फिर से टिकट दिया गया है, जिन्होंने साल 2018 के चुनाव में शिवराज सरकार के मंत्री शरद जैन को सिर्फ साढ़े 500 वोट के अंतर से पराजित किया था.


बरगी सीट से इस विधायक को मिला टिकट
बीजेपी ने फिलहाल इस सीट पर अपना उम्मीदवार अभी तक घोषित नहीं किया है. बरगी सीट से विधायक संजय यादव को कांग्रेस ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार घोषित किया है. संजय यादव ने पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह को पराजित किया था. इस बार उनके पुत्र नीरज सिंह बीजेपी की ओर से चुनाव मैदान में उतारे गए हैं. वहीं  जबलपुर पाटन सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला बीजेपी के वर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई से होगा.


पिछले चुनाव में नीलेश अवस्थी को अजय विश्नोई के सामने पराजय का सामना करना पड़ा था, जबकि, 2013 का चुनाव उन्होंने विश्नोई को हराकर जीता था. कांग्रेस ने सिहोरा सुरक्षित सीट से नए चेहरे एकता ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा है. एकता ठाकुर फिलहाल जिला पंचायत की सदस्य हैं. आदिवासियों के लिए रिजर्व सिहोरा सीट पर बीजेपी ने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.वर्तमान में बीजेपी की नंदिनी मरावी यहां से विधायक है. 


पिछले पांच चुनाव से ये सीट हार रही कांग्रेस
चर्चा है कि बीजेपी नंदिनी मरावी की जगह किसी नए उम्मीदवार को यहां से मौका दे सकती है. अब बात करते हैं जबलपुर जिले की उन दो सीटों की जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने फिलहाल होल्ड पर रखा है. कांग्रेस पिछले पांच चुनाव से जबलपुर कैंट और पनागर सीट से हार का सामना करती आ रही है. ये वो दो सीटें हैं, जिन्हें जिताने का जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लिया था. इन सीटों पर दिग्विजय  सिंह की पसंद और कमलनाथ के सर्वे में विरोधाभास होने के कारण पार्टी ने फिलहाल इन्हें होल्ड पर रखा है.


जबलपुर कैंट बीजेपी की परंपरागत सीट
केंट सीट से पार्टी कमलनाथ की पसंद जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू को मैदान में उतारना चाहती है, लेकिन वे शुरुआती तैयारी के बाद पीछे हटते नजर आ रहे हैं. दिग्विजय सिंह ओबीसी वर्ग के एक नेता का नाम आगे बढ़ा चुके हैं. जबलपुर कैंट बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है. यहां से बीजेपी के विधानसभा अध्यक्ष रहे ईश्वरदास रोहाणी तीन बार विधायक चुने गए थे. साल 2013 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ईश्वर दास रोहाणी के निधन के बाद उनके पुत्र अशोक रोहाणी पिछले दो बार से यहां से विधायक चुने जा रहे हैं.


इसी तरह पनागर सीट पर भी कांग्रेस को पिछले पांच चुनाव से हार का सामना करना पड़ रहा है. दिग्विजय सिंह यहां से पिछले चुनाव में बीजेपी के बागी होकर मैदान में उतरने वाले भारत सिंह यादव को टिकट देने की पैरवी कर चुके हैं, जबकि सर्वे में उन्हीं के परिवार के सत्येंद्र यादव का नाम सामने आया है. हालांकि, भारत सिंह यादव ने अभी तक कांग्रेस पार्टी ज्वाइन नहीं की है. वही,सत्येंद्र यादव को ज्योतिराज सिंधिया का काफी करीबी माना जाता है, लेकिन उन्होंने साल 2020 में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने के दो दिन बाद ही फिर से पार्टी में अपनी वापसी कर ली थी.


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