(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MP Election 2023: बीजेपी ने छह बार जीते पारस जैन को नहीं दिया टिकट, पूर्व मंत्री बोले- 'इस बात का मलाल...'
MP Election: बीजेपी के वरिष्ठ विधायक पारस जैन को इसबार विधानसभा का टिकट नहीं मिला है. उन्होंने कहा है कि मुझे इस बात का गम है कि पार्टी ने मुझसे एक बार भी बातचीत करना मुनासिब नहीं समझा.
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 17 नवंबर को होना है. कहा जाता है कि मध्य प्रदेश की विधानसभा का रास्ता भोपाल में हाईकमान के दरवाजे के सामने से गुजरता है और लोकसभा जाने का रास्ता दिल्ली के दरवाजे से होकर जाता है. मगर एक नेता ऐसे भी अपवाद के रूप में सामने है. जिन्होंने कभी भी भोपाल (Bhopal) या दिल्ली (Delhi) के दरवाजे पर टिकट के लिए दस्तक नहीं दी. पार्टी ने उन्हें सात बार टिकट दिया और उन्होंने छह बार चुनाव जीतकर सीट बीजेपी को दे दी. उज्जैन के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री पारस जैन (Paras Jain) को इस बार विधानसभा का टिकट नहीं मिला है. हालांकि टिकट नहीं मिलने का दर्द पारस जैन के बयान से भी छलक गया.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण को लेकर अभी भी नेताओं के बीच असंतोष देखा जा रहा है. भोपाल में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के नेताओं के बंगले घेरे जा रहे हैं. वर्तमान स्थिति में नेताओं का मानना है कि विधानसभा क्षेत्र में भले ही उनकी कितनी भी अच्छी जमावट हो लेकिन हाईकमान उनसे नाराज नहीं होना चाहिए. यदि हाई कमान चाहेगा तो टिकट मिल पाएगा और यदि उनकी मर्जी नहीं होगी तो फिर टिकट कट भी सकता है.
इन दावों को उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन झूठलाते हैं. पारस जैन बताते हैं कि उन्होंने सात बार उज्जैन उत्तर से विधानसभा का चुनाव लड़ा. पार्टी ने हर बार उन्हें घर बैठे टिकट दिया. बीजेपी के टिकट पर विधायक पारस जैन सात बार जीत दर्ज कराई. वे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बाबूलाल गौर (Babulal Gaur) और शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे. हालांकि इस बार 73 वर्षीय पारस जैन का टिकट काट दिया गया है. उनके स्थान पर अनिल जैन (Anil Jain) कालूखेड़ा को मैदान में उतारा गया है.
वरिष्ठ विधायक रहे पारस जैन ने एबीपी न्यूज़ से चर्चा के दौरान कहा कि उन्हें इस बात का गम नहीं है कि उनका टिकट काट दिया गया है. लेकिन इस बात का मलाल जरूर है कि पार्टी ने उनसे एक बार बातचीत करना भी मुनासिब नहीं समझा. उन्हें यदि विश्वास में लेकर किसी को भी टिकट दे देते तो उन्हें दर्द नहीं होता. जब उनसे टिकट काटने का कारण पूछा गया तो वह साफ मुकर गए. उन्होंने कहा कि इस बार भी उन्होंने टिकट के लिए दावा किया था. हालांकि पार्टी ने किस आधार पर टिकट कटा है ? यह भोपाल में बैठे वरिष्ठ पदाधिकारी ही बता सकते हैं.
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