MP Assembly Elections 2023: कांग्रेस दिग्गज कमलनाथ (Kamal Nath) के गढ़ छिंदवाड़ा (Chhindwara) से चुनाव लड़ने में क्या बीजेपी (BJP) के नेता भय खाते हैं? यह सवाल बीजेपी के कद्दावर नेता गौरीशंकर बिसेन (Gaurishankar Bisen) के एक बयान के बाद उठ खड़ा हुआ है. उन्होंने साफ कहा है कि छिंदवाड़ा कांग्रेस का गढ़ है और यहां से चुनाव लड़ना कोई बच्चों का खेल नहीं है. वे गुरुवार को छिंदवाड़ा के दौरे पर आये थे. बिसेन के इस बयान से यह भी माना जा रहा है कि उन्होंने छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने वाले अपने पुराने दावे से किनारा कर लिया है.


छिंदवाड़ा में कमलनाथ और कांग्रेस की राजनीतिक जमीन का विश्लेषण करने के पहले जान लेते है कि बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने चुनाव लड़ने की अटकलों के बारे में क्या कहा है. उन्होंने गुरुवार को मीडिया को बताया कि,"यह भ्रम दूर कर लीजिए कि मैं छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ना चाहता हूं. पहले मैंने कहा था कि मेरी पार्टी जहां से चुनाव लड़ने के लिए कहेगी मैं वहां से चुनाव लडूंगा, नहीं कहेगी तो नहीं लडूंगा. छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी कहेगी तो सातों विधानसभा के बीजेपी नेता और पूरी पार्टी एक मत एक नाम राज्य और केंद्र की समिति को भेजेगी तो ही चुनाव लडूंगा. छिंदवाड़ा कांग्रेस का गढ़ है, यह कोई बच्चों का खेल नहीं है."






कई सालों से बना है कांग्रेस का गढ़
यहां बता दें कि इससे पहले बिसेन ने छिंदवाड़ा से कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी. उन्होंने पार्टी के कहे जाने पर यहां से लोकसभा चुनाव लडने की मंशा जाहिर की थी. बिसेन लगातार क्षेत्र में दौरे भी कर रहे हैं. गौरतलब है कि छिंदवाड़ा कमलनाथ और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां की सात में से एक सीट से कमलनाथ विधायक हैं. बाकी छः सीटों पर भी कांग्रेस का कब्जा है. उनके बेटे नकुलनाथ मध्य प्रदेश से एकमात्र कांग्रेसी सांसद हैं. वे 2019 में अपने पिता द्वारा छोड़ी छिन्दवाड़ा सीट से ही चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे, जबकि मोदी लहर के चलते दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल सीट से चुनाव हार गए थे.


मोदी लहर में भी बीजेपी को मिली थी हार
बात करें छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की  तो मोदी लहर यानी 2014 और 2019 में भी बीजेपी यहां से नहीं जीत पाई. खास बात यह रही कि 2019 में एमपी लोकसभा की 29 में से 28 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन छिंदवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. राजनीतिक जानकार कह रहे है कि बीजेपी के के लिए इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के छिंदवाड़ा किले को भेद पाना बेहद कठिन है.


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