MP Assembly Elections 2023: ऐतिहासिक जीत के बावजूद जहां आदिवासी क्षेत्रों में लाडली बहना और मोदी मैजिक का प्रभाव कम रहा. ऐसे में बीजेपी की कुशल रणनीति से जीत के प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. कांग्रेस के पास इस तरह की रणनीति और रणनीतिकार नहीं हैं शायद इसलिए फिर इस बार उसे विपक्ष में बैठना पड़ेगा.


मध्य प्रदेश के मन में मोदी और मोदी के मन में कहकर मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव नतीजे आने से पहले ही पीएम मोदी के सिर एमपी की जीत का सेहरा बांध दिया था. ये काफी हद तक सच भी है. क्योंकि बिना सीएम फेस के भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में वो कर दिखाया जो अब तक नहीं हुआ था. मध्य प्रदेश में बीजेपी ने ना सिर्फ चुनाव जीता बल्कि एक ऐतिहासिक जीत भी हासिल की है.


230 विधानसभा सीटों में बीजेपी के खाते में 163 सीट आई हैं जो कुल वोटों का 48.55 फीसदी है. पीएम मोदी जैसे फायर ब्रांड चेहरे के साथ कमल ने मध्य प्रदेश में कमाल कर दिखाया. इस जीत के साथ जमीनी लोगों की बात करना जरूरी है, जिन्होंने जीत में अहम भूमिका निभाई है. हालांकि इतनी बड़ी ऐतिहासिक जीत के बावजूद और बीजेपी द्वारा इतना मजबूत मैनेजमेंट बैठाने के बाद भी आदिवासी सीटों पर बीजेपी को अभी और काम करने की जरूरत है.


आंकड़ों से समझें समीकरण
2018 की 15 सीटों की तुलना में 2023 के चुनाव में एसटी रिज़र्व 47 सीटों में से 25 पर बीजेपी विजय हुई है. अन्य 8 सीटें ऐसी हैं जहां पर जीत हार का अंतर कुल वोट पोलिंग के 1% से भी कम है.


ST रिज़र्व सीटों पर समीकरण
2018 की तुलना में बीजेपी को इस बार 11 लाख 9000 वोट ट्राइबल सीटों पर ज्यादा मिले हैं.


कुल ट्राइबल वोट का समीकरण
अन्य सीटों के ट्राइबल वोट मिल कर 2018 की तुलना में 2023 में लगभग 17 लाख ट्राइबल वोट बीजेपी को ज़्यादा मिले हैं. वही 2018 की तुलना में 2023 में प्राप्त ट्राइबल वोट 37% से बढ़ा हुआ है


खरे को मिली थी सीटें निकलवाने की जिम्मेदारी
इन चुनावों में यह भी देखने में आया है कि आदिवासी क्षेत्रों में लाड़ली बहना योजना और मोदी मैजिक का प्रभाव अपेक्षाकृत कम कारगर रहा लेकिन मध्य प्रदेश युवा आयोग के अध्यक्ष होने के साथ-साथ आदिवासी सीटों के प्रभारी बनाए गए डॉक्टर निशांत खरे ने यहां के लिए एक अलग रणनीति तैयार की. चुनाव की स्थिति को बीजेपी के पक्ष में लाने एवं आदिवासी सीटों की रणनीति बनाने के लिए वे लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संपर्क में रहे. उन्होंने लगातार झाबुआ, मनावर, कुक्षी एवं अलीराजपुर के दौरे पर रहे जहां उन्होंने बीजेपी के कार्यकर्ताओं के साथ वरिष्ठ नेताओं एवं प्रत्याशियों से भेंट कर चुनाव की स्तिथि समझने का प्रयास किया. पिछले चुनाव में जो नुकसान बीजेपी को आदिवासी सीटों को गवा कर भुगतना पड़ा था उसकी भरपाई डॉ निशांत खरे ने करने की कोशिश की जिसमें डॉ खरे काफी हद तक सफल भी हुए.