MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री सांसद और पार्टी के दिग्गज नेताओं को विधानसभा टिकट देकर मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है. इस मास्टर स्ट्रोक को कांग्रेस का मानना है कि दिग्गज नेताओं के मैदान में उतरने से कुछ ज्यादा फायदा होने वाला नहीं है. हालांकि कांग्रेस को अब काफी सोच समझकर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करना पड़ेगा. बीजेपी की दूसरी सूची ने कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है.



यह पहला मौका है जब भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारकों को विधायक के टिकट देकर जनता के बीच भेज दिया है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि विधानसभा चुनाव के दो महीने पहले दिग्गज नेताओं को टिकट देकर पार्टी ने इस बात का आगाज कर दिया है कि अब कांग्रेस के लिए मुश्किलें आसान नहीं रहेगी. बीजेपी ने बड़े ही सोच समझकर दिग्गज नेताओं को कठिन सीट पर मैदान में उतारा है. यदि इंदौर की बात की जाए तो कैलाश विजयवर्गीय को संजय शुक्ला के सामने मैदान में खड़ा कर दिया गया है. संजय शुक्ला कांग्रेस की लहर में विधायक बने थे.

बीजेपी के पास कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं था
इसके बाद से ही वे लगातार मेहनत कर रहे थे लेकिन कैलाश विजयवर्गीय का नाम सामने आने के बाद अब कांग्रेस के नेता भी चौंक गए. दूसरी तरफ यदि जबलपुर की बात की जाए तो यहां पर कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री तरुण भनोट को टिकट दिया जाना तय माना जा रहा है. उनके सामने बीजेपी के पास कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं था. इसी के चलते सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को मैदान में उतार दिया गया. इसी तरह दूसरी विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी ने दमदार प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की कोशिश की है.

बीजेपी की घबराहट दूसरी सूची में सामने आई- कांग्रेस
भारतीय जनता पार्टी की दूसरी सूची में दिग्गज नेताओं को मैदान में उतरने को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी के बड़े नेता इस बात को भांप गए थे कि इस बार उनकी जमीनी हालात ठीक नहीं है. इसी के चलते दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया गया है. सज्जन वर्मा ने यह भी कहा कि इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. चुनावी रण में कई बड़े-बड़े दिग्गज नेता भी धराशाई हो चुके हैं. इस बार महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के मुद्दे पर चुनाव है. कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में दिग्गज नेताओं को हराकर सरकार बनाएगी. बीजेपी का यह मास्टर स्ट्रोक नहीं बल्कि घबराहट वाला स्ट्रोक दिखाई दे रहा है.

इसलिए विधानसभा चुनाव पर पूरा फोकस
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के 6 माह बाद लोकसभा चुनाव होना है ऐसी स्थिति में "एनडीए" को "इंडिया" के खिलाफ चुनाव लड़ना है. मध्य प्रदेश में कुल 29 लोकसभा सीट है. इस बार बीजेपी पूरी 29 पर कब्जा करने की कोशिश करेगी. वर्तमान में कांग्रेस के पास केवल एक विधानसभा सीट है. छिंदवाड़ा से नकुल नाथ कांग्रेस की ओर से सांसद है. शेष 28 सीटों पर बीजेपी के सांसद है. विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद लोकसभा चुनाव की आहट शुरू हो जाएगी. विधानसभा चुनाव में यदि बीजेपी एक तरफ प्रदर्शन करती है तो इसका लाभ लोकसभा चुनाव में भी सीधे तौर पर मिलेगा. इसी वजह से विधानसभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं उठाया जा रहा है.