MP Elections 2023: सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों के संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंचायत के जनप्रतिनिधियों बड़ी सौगात देने का एलान कर दिया है. मुख्यमंत्री ने सभी जनप्रतिनिधियों के मानदेय में 3 गुना की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है. इस सौगात को कांग्रेस की पंचायती राज लाने की घोषणा का तोड़ माना जा रहा है.


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों की मौजूदगी में सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों से संवाद किया. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पंचायत से जुड़े जनप्रतिनिधियों के वेतन में बढ़ोतरी आवश्यक है. इसी के चलते 3 गुना बढ़ोतरी का एलान किया जाता है.


अब जनपद पंचायत, जिला पंचायत और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों को 3 गुना अधिक मानदेय मिलेगा. इससे पंच, सरपंच, जनपद अध्यक्ष, जनपद उपाध्यक्ष, जिला पंचायत उपाध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष सहित अन्य जनप्रतिनिधि प्रभावित होंगे. गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने घोषणा की है कि सरकार कांग्रेस की बनने के बाद पहले की तरह ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत के जनप्रतिनिधियों के अधिकार बढ़ाए जाएंगे. मध्यप्रदेश में पंचायती राज को और मजबूत किया जाएगा. बीजेपी सरकार की इस घोषणा को कांग्रेस के ऐलान का विकल्प माना जा रहा है.


विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी सौगात 


गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 60% से अधिक विधानसभा सीटें ग्रामीण क्षेत्र की हैं ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायत से लेकर जनपद और जिला पंचायत के जनप्रतिनिधियों का समर्थन हासिल किया जाना बेहद जरूरी है. पंचायत के सभी चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के समर्थित उम्मीदवार ही मैदान में उतरते हैं. इन चुनावों में पार्टी का चुनाव चिन्ह काम नहीं करता है. इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही ग्रामीण क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों को अपनी और आकर्षित करने के लिए कई घोषणाएं कर रही है.


फैसले का स्वागत लेकिन चुनाव के पहले ही क्यों आई याद?


उज्जैन के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष करण कुमारिया के मुताबिक शहर के क्षेत्रफल और आबादी के साथ-साथ अन्य मापदंडों के अनुसार जनप्रतिनिधियों के मानदेय दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष को लगभग ₹41000 वाहन खर्च, मानदेय सहित अन्य खर्च के लिए प्रतिमाह मिलता है. किंतु इसमें शुद्ध मानदेय केवल ₹11000 होता है.


इसी तरह जनपद पंचायत अध्यक्ष को ₹31000 मिलता है. यह वाहन सहित अन्य खर्च के लिए होता है. इसी प्रकार जिला पंचायत उपाध्यक्ष को 9000 तथा सरपंच को 3000 के आसपास मानदेय मिलता है जबकि उप सरपंच और पंच को बैठक के अनुसार मानदेय दिया जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार को चुनाव आते ही पंचायत के जनप्रतिनिधियों की याद आ गई. इस फैसले का स्वागत किया जाता है मगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हजारों घोषणाएं पूरी नहीं हुई है, इसलिए इस घोषणा को लेकर भी संशय है.